वो बीस साल की उम्र,वो रूप लावण्य,मृग से नयन,??किसको नहीं मोह लेते? बस आजकल प्रेम सिर्फ चेहरे और उम्र के आकर्षण तक रह गया है, ये मायने नही रखता कि, आप वो ही आप हो, आप चालीस की उम्र में कितनी आकर्षक हो मायने यह नही रखता है,मायने ये रखता है कि आप अब बीस की नहीं हो,आप अब जवानी की दहलीज को लांघने को तैयार हो,इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आपका दिल आज भी वो ही प्यार भरा दिल है,इससे कोई फर्क नही पड़ता कि "वी आर ग्रोइंग ओल्ड टूगेदर" इससे बहत फर्क पड़ता है "यु हैव ग्रोन ओल्ड"। बेशक मैं महिलाओं की ही बात कर रही हूं, पुरूष,पुरूष हैं वो ओल्ड कहाँ होते हैं?वो ओल्ड भी गोल्ड है, बूढ़ी तो महिलाएं हो जाती हैं, भरे समाज में किसी महिला को अगर बेइज़्ज़त करना हो तो आजकल लोगो ने बड़ा आसान टारगेट बना लिया है उनकी उम्र पर धावा बोल दो,कहीं भी किसी को भी बोल दो "बूढ़ी आंटी" उफ़्फ़ ऐसा अपमान, ऐसा कि बुढापा कोई बीमारी हो,ये हमारे समाज में महिलाओं के लिए सोच रखी जाती है,सबसे बड़े आश्चर्य की बात ये है जो लोग इस तरह की टिप्पणी करते हैं उन्हें देखकर तो ये ही लगता है जैसे उनकी उम्र और जवानी स्थिर हो। माफ कीजिएगा ये कहानी से ज्यादा भाषण लग रहा है। बात निधि और यतीश की है,ग्लैमर की दुनिया की चकाचौंध में दो लोग कब करीब आते हैं कितनी जल्दी रिश्तों में बंध कर अलग भी हो जाते हैं, ऐसा लगता है कितना आसान है ना इनके लिए सालों पुराने रिश्ते एक झटके में तोड़ देना? यही कोई चौदह साल पुरानी बात है जब यतीश को निधि किसी धारावाहिक के शूटिंग के सेट पर मिली थी,उस समय निधि अपने करियर के शिखर पर थी,नाम पैसा शोहरत सब कमा रही थी,जबकि यतीश कुछ खास नहीं कर पाया था अब तक,उसी धारावाहिक में जहां निधि लीड रोल निभा रही थी यतीश को भी छोटा मोटा किरदार मिल गया। इन्ही दिनों शूटिंग के दौरान निधि यतीश को साथ उठने बैठने का काफी समय मिला इसी वजह से वो काफी अच्छे दोस्त भी बन पाए...To be continued in next postमगर समय के साथ यतीश को लगा कि ये रिश्ता दोस्ती से बढ़कर भी कुछ और है यही कुछ निधि ने भी महसूस किया,निधि ने पहल नहीं कि उसे यकीन था यतीश पहल करेगा और यतीश ने संकुचाते हुए एक दिन निधि के सामने प्रेम प्रस्ताव रख ही दिया और निधि...,निधि तो जैसे हां कहने का ही इंतज़ार कर रही थी। जोड़ी बन गई दोनों ने एक दूसरे के साथ काफ़ी अच्छा क्वालिटी टाइम स्पेंड किया,एक साल का समय इस रिश्ते को देने के बाद दोनों ने डिसाइड की अब शादी कर लेनी चाहिए और समय बीता और शादी का शुभ लगन भी आ ही गया,बहुत किस्मत वाले होते हैं वो लोग जो जैसा चाहते हैं उनको वैसा मिल भी जाता है। मगर सच ये है कि क़द्र कितने लोग कर पाते हैं कितने लोग शुक्रगुजार होते हैं? एक कहावत है "ना मिले तो सोना मिल जाए तो मिट्टी"।
दोनों ने दस साल वैवाहिक जीवन के बहुत अच्छे निकाले,
हंसी खुशी में,जीवन ऐसे ही बीतता है,जिस समय निधि ने यतीश से विवाह किआ था उस समय वह छबीस बरस की थी,दस साल बाद उसका एक बेटा भी है जो अभी कुछ ही महीनों का है, अब महिलाओं के साथ ये है कि मां बनने के बाद उन्हें कुछ साल अपने बच्चे को देने ही है,चाहे वो कितनी ही बड़ी सख्सियत क्यों न हो,वो अपने बच्चे की फुल टाइम सर्विस में लग जाती है जबकि पुरूष के लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं है, निधि का करियर थम सा गया,जबकि यतीश व्यस्त है,आउटडोर शूटिंग पर,वो काफ़ी दिनों तक फैमिली से दूर रहता है फिर कुछ दिनों के लिए वापस आता है फिर निकल जाता है।जबकि निधि को समझने का भी समय नहीं है क्योंकि दिन भर बेबी का कुछ न कुछ काम लगा ही रहता है,उसे अभी बाहर की दुनियां में क्या चल रहा है ये झांकने की फुरसत भी नहीं है। इसी व्यस्तता में वो खुद का ख्याल नही रख पाई। हालंकि मेड है काफी सारे काम वो निबटा देती है मगर एक छोटे से बच्चे के ज्यादातर काम उसकी मां को ही करने होते हैं।
बच्चा होते ही,मां के लिए वो ज्यादा अहम हो जाता है,उसके काम को ही ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है, ऐसा होना भी चाहिए।
मगर पुरूष की प्राथमिकता क्या होती है? (माफ कीजियेगा ये बात सब पर लागू नही होती मगर बहुतों पर लागू ज़रूर होती है) रूप सौंदर्य यौवन ? निधि व्यस्त है वो पहले की तरह यतीश के साथ समय नहीं बीता पाती, हां पहले की तरह अभी वो आकर्षक भी नज़र नहीं आती,खुद को देने के लिए पहले जितना समय अभी उसके पास नहीं है। मग़र यतीश उसकी क्या जिम्मेदारी है?
यही कि वो एक कमसिन लड़की देखकर फिर से एक नया रिश्ता जोड़ ले? यही वज़ह थी कि वो अपने परिवार को अब समय नहीं दे पा रहा था क्योंकि उसे क़्वालिटी टाइम कहीं और स्पेंड करना था,कितना दुःखद हैं ये सब, जब एक लड़की पत्नी बन कर पत्नी की और माँ बनकर माँ की ज़िम्मेदारी बख़ूबी निभाती है मगर वहीं एक पुरुष जो पति होकर ये भूल जाता है कि वो पति भी है। अब उसे कुछ नया चाहिए क्योंकि अब पुराने में वो बात नहीं।
क्या दिल के ये सो कॉल्ड रिश्ते इतने कमज़ोर होते हैं? जिनमे रिश्तों का अहसास ही नहीं होता,कि लोग हर चीज़ को एंटरटेनमेंट की तरह लेते हैं।
निधि अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में और यतीश तफ़री में व्यस्त था,मग़र निधि ये कल्पना भी नहीं कर सकती कि ऐसा कुछ है,सच दूर की बात है वो सपने में भी यकीन नहीं कर सकती कि यतीश...उफ़्फ़
क्योंकि उनका विवाह प्रेम विवाह है, उससे पहले उनके कई कसमे वादे है,एक साथ कई खूबसूरत यादें हैं, वो तो ......बस इतना जानती है अभी ज़िमेदारी निभानी ज्यादा जरूरी है वो यतीश बखूबी निभा रहा है जब तक वो काम पर वापस नहीं लौटती। इस तरह से ही चलेगा। मगर उसके पीठ पीछे बहुत कुछ चल रहा था जो उसे पता भी नहीं था।
मग़र जिस दिन ये भरम टूटता है उस दिन बहुत कुछ टूट जाता है पैरों तले जमीन नहीं रहती सिर के ऊपर आसमान नहीं रहता है ये जीवन जिस रिश्ते की ताकत के भरोसे चलता है एका एक पता चलता है वो रिश्ता है ही नहीं वो तो भरम मात्र था।
निधि के ब्लाइंड ट्रस्ट ने कभी भी यतीश को आदर्श पति के व्यक्तित्व से बाहर नहीं निकलने दिया,ऐसा होते होते चार साल बीत गए,हालांकि इस बीच यतीश की हरकतें काफी कुछ ऐसी थी कि कोई भी समझ जाता कि कुछ तो गलत है मगर यतीश अपनी लच्छेदार बातों में फिर से निधि को उलझा देता।
एक दिन निधि को लगा काफी समय हो गया घर पर रहते हुए,अब बच्चा चार साल का हो चुका है, उसे मेड के साथ छोड़ा जा सकता है और मै फिर से काम की शुरुआत कर सकती हूं,ये सोच कर उसने तुरंत प्लान बना लिया कि आज ही निकल जाती हूँ। यतीश को वह बता नहीं पाई,क्योंकि वो जा चुका था, फ़िर उसने सोचा कॉल करके क्या बताना सरप्राइज दूंगी।
आधे घंटे में तैयार होकर,बच्चे को मेड के साथ छोड़ कर वो निकल पड़ी,लगभग चार साल बाद आज घर से इस तरह निकली थी,सब कुछ बदला सा लग रहा था।कई सारे सवाल दिमाग मे चल रहे थे,अब काम मिलेगा के नहीं, अब पहले वाली बात भी कहां है। क्या होगा पता नहीं। निधि ऑलमोस्ट अपने ख़यालों की उधेड़बुन में गुम है।
तभी गाड़ी रेड लाइट पर रुकी,ब्रेक लगने से निधि का ख़यालों का क्रम टूटा..उसने गर्दन इधर-उधर घुमाई.. अर्रे,ये क्या" यतीश??" उसका माथा ठनका उसने यतीश की गाड़ी को रेड लाइट पर देखा "यतीश इस समय यहाँ" "वो भी किसी लड़की के साथ" "ये कौन है" "इस समय ये यहां कैसे" "इसकी तो शूटिंग थी" ओह्ह ये लड़की ये तो,"इसकी बॉडी लैंग्वेज,उसकी बॉडी लैंग्वेज से तो इसकी काफी क्लोज लग रहीं है"।
ओह्ह नहीं नहीं क्या ये सच है या कोई सपना है। कुछ ऐसा ही झटका लगता है जब कुछ अप्रत्याशित घट जाता है तो..