ये मनःस्थितिकभी भी बिगड़ जाती हैमेरी है ज़रूरमगर मेरे हाथ मे नहीं आती हैये मनःस्थितिकभी भी बिगड़ जाती हैकभी इसके कभी उसकेन जाने किसके किसकेहाथ में आ गईये मनःस्थितिबस मेरे ही हाथकभी न आ पाई।ये मनःस्थितिहर किसी को मैंनेखुद से सक्षम पाया।बड़ी ही आसानी सेजिसने हिलाकर रख दीये मनःस्थितिकिस तरह मैंनेअपने ही मन कीडोर किसी और कोथमा दी।जिसने जैसे चाहावैसे बना दीये मनःस्थिति
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माँ पर कविता, मैं बूढ़ा हो गया, हे मनुष्य तुमने क्या चाहा, ये आँसू बह जाते है, मैं उसके दिल को ठेस नही लगा सकती।
दिल को छू जाने वाले शब्द तारिफे काबिल हैं ःः
जवाब देंहटाएंबहत खूब।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंProtsahan k lie aapka aabhar.
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