शुक्रवार, 18 जून 2021

kavita/poetry ये मनःस्थिति in hindi


ये मनःस्थिति
कभी भी बिगड़ जाती है
मेरी है ज़रूर
मगर मेरे हाथ मे नहीं आती है
ये मनःस्थिति
कभी भी बिगड़ जाती है
कभी इसके कभी उसके
न जाने किसके किसके
हाथ में आ गई
 ये मनःस्थिति
बस मेरे ही हाथ
कभी न आ पाई।
ये मनःस्थिति
हर किसी को मैंने
खुद से सक्षम पाया।
बड़ी ही आसानी से
जिसने हिलाकर रख दी
ये मनःस्थिति
किस तरह मैंने 
अपने ही मन की
डोर किसी और को
थमा दी।
जिसने जैसे चाहा
वैसे बना दी 
ये मनःस्थिति


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