मंगलवार, 22 जून 2021

तुम थकती क्योँ हो मां

kavita in hindi


तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।
तुम खुद को मशीन मानो
साल भर में थोड़ा बहुत 
चल जाता है यार
पर हर शाम यूँ निढाल 
न पड़ जाया करो
तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।?
तुम तो हर किसी की मर्जी से
बस स्विच ऑन और 
स्विच ऑफ हो जाया करो।
एक आवाज़ पर ही
खाना बिस्तर पर ले आया करो
तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।
अब हम बड़े हैं समझदार हैं।
अपना ख्याल रख सकते हैं
बात न भी हो रोज़
ख़ैरियत से ही होंगे
इतना तो खुद समझ जाया करो।
तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।
 घर पर रहती हो तुम
तुम्हारा काम ही क्या है।
हम अपने कामों में,
पहले से ही बहुत उलझे हैं
तुम अपने इमोशनल ड्रामा से
हमें,और न उलझाया करो।
तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।
और सुनो जो कुछ भी तुम
करती हो हमारे लिए
वो तुम्हारा फर्ज़ है माँ
दुनिया की हर मां करती है।
इसलिए कर्तव्यों का अहसान
न जताया करो।
तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।



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