सीधी साधी मेरी भाषा होगी
सीधे साधे ही मेरे भाव होंगे।
न बनावट मिलेगी,
न कोई सजावट होगी।
वही होगा जो सहज है
वही होगा जो सरल है।
किसी की इंद्रियों को,
जो तृप्त करें।
ऐसे शब्द कदापि नहीं होंगे
जो होगा नैसर्गिक होगा
इनमे अश्लीलता का,
अभाव होगा।
छू सकूँ किसी के दिल को अपनी कविता कहानी से तो क्या बात है। अहसास कर सकूं हर किसी के दर्द को अपनी कविता कहानी से तो क्या बात है। जीते जी किसी के काम आ सकूँ तो क्या बात है। kavita in hindi, hindi kavita on life, hindi poems, kavita hindi mein on maa
स्री हूं, पाबंदियों की बली चढ़ी हूं, मर्यादा में बंधी हूं, इसलिए चुप हूं, लाखों राज दिल में दबाए, और छुपाएं बैठी हूं, म...
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