शनिवार, 29 मई 2021

मैं उसके दिल को ठेस नही लगा सकती। (Hindi Kavita, Hindi Poetry and Poems)






मैं उसके दिल को ठेस नही लगा सकती।
मैं उसके दिल को
 ठेस नही लगा सकती।
माँ हूँ मैं उसकी,
उसका नन्हा सा दिल,
 नहीं दुखा सकती।
भोला सा है वो
प्यारा सा है।
शरारतों से भरा,
पिटारा सा है वो।
हल्की सी ठेस पर
मुझे देखता है।
सहानुभूति भरी
मेरी गोद खोजता है।
मैं उसके दिल को
 ठेस नही लगा सकती।
माँ हूँ मैं उसकी,
उसका नन्हा सा दिल,
 नहीं दुखा सकती।
चम्मच से चप्पल तक
सब उसका खिलौना है
ईँट पत्थर रेत मिट्टी,
सब उसके लिए खाना है।
घर की हर एक चीज़ को
उसे हाथ लगाना है।
दुसरों के सामान पर भी
अपना अधिकार जताना हैं।
मैं उसके दिल को
 ठेस नही लगा सकती।
माँ हूँ मैं उसकी,
उसका नन्हा सा दिल,
 नहीं दुखा सकती।
कोई चीज़ हाथ से छीन लूं,
तो उसे बिखर जाना है।
चिल्ला चिल्ला कर सारा घर
सर पर उसे उठाना है।
प्यारी सी आँखों से,
आंसुओ की झड़ी
लगाना हैं।
मैं उसके दिल को
 ठेस नही लगा सकती।
माँ हूँ मैं उसकी,
उसका नन्हा सा दिल,
 नहीं दुखा सकती।

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