रविवार, 29 अगस्त 2021

मंत्र सिद्ध होते हैं

मंत्र कोई भी हो।
जाप में अगर शिद्दत हो।
तो मंत्र सिद्ध हो जाते हैं।
मंत्र रग रग में बस जाते हैं।
अब मंत्र तुम्हारे वश में नहीं
तुम मंत्र के वश में हो।
तुम चाहे सोओ जागो
रोओ बैठो खाओ
कुछ निरंतर है
जो घट रहा है 
तुम्हारे भीतर।
जिसका तुम्हारी
मनःस्थिति से कोई 
सरोकार नहीं।

गुरुवार, 26 अगस्त 2021

Hindi poem/हर रिश्ता कमज़ोर पड़ता है/ poem in hindi

हर रिश्ता
 कमज़ोर पड़ता है
हर आस्था
 एक दिन टूटती है
हर चमक  
धूमिल पड़ती है।
हर मुस्कान
 कुम्हलाती है।


इंतज़ार भी कभी कभी
 चिरकाल के हो जाते हैं।
अपनत्व के पंछी भी
 घोसला छोड़ उड़ जाते हैं।

कोई टकटकी लगाए 
द्वार पर बैठा है।
मगर आगंतुक 
किसी और 
 सफ़र की तैयारी में जुटा है।

कहीं नवजीवन का 
सुरमयी संगीत है
कोई पुराने ताने बानो 
में ही उलझा है।
कोई खुद के ही
 विचारों से लड़ता है
कोई अपनी ही
ज़िद में अड़ता है।


 

गुरुवार, 19 अगस्त 2021

poem in hindi/क्या रिश्तों को समय की दरकार नहीं?/poem in hindi

कभी दो पल साथ बैठ कर
सुकून से कभी
उनसे बात न हुई।
मगर प्यार बहत था।
किसकी तरफ़ से था।
ये मत पूछो।
मगर प्यार बहत था।
ये एक इकलौता सच था।

कभी दो पल साथ बैठ कर
सुकून से कभी
उनसे बात न हुई।

वो व्यस्त बहुत थे
उनकी आदतों के
 हम भी अभ्यस्त बहुत थे
वो बादल भी काल्पनिक थे
जो बरस न सके उम्र भर।
वो न जाने किस बात की
 किस दुनिया की
बेहतरी में जुटे थे।
और हम उनके भ्रामक
व्यवहार से लुटे थे।

कभी दो पल साथ बैठ कर
सुकून से कभी
उनसे बात न हुई।

ऐसे रिश्तों में फिर
गिले शिकवे के सिवा
बचता ही क्या है?
हां जिम्दारियों का,
 निर्वाह किया
इसमें झूठ भी है कहाँ?
मग़र क्या रिश्तों को
समय की दरकार नहीं?

कभी दो पल साथ बैठ कर
सुकून से कभी
उनसे बात न हुई।

रविवार, 15 अगस्त 2021

#Independence day poem/मैं भारतीय हूँ/Independence day poem

मैं भारतीय हूँ
भारतीय ही रहना चाहता हूँ
मातृभूमि की रग रग में,
मैं लहू सा बहना चाहता हूँ

मैं भारतीय हूँ

हँस-हँस के अपने प्राणों की
बाजी लगाना चाहता हूं
भारत माँ की रक्षा को
ये शीश कटाना चाहता हूं।

मैं भारतीय हूँ

मैं इंसान हूँ पशु नहीं
जो भरण पोषण तक सीमित हो।
धरती के हर जीव को मैं,
 पोषित देखना चाहता हूँ।

मैं भारतीय हूँ

शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

kavita on rakshabandhan/brother/भाई तुम अनमोल हो/ rakshabandhan special

भाई तुम अनमोल हो
कौन शब्द बना है
दुनिया में,
जिसमें तुम्हारा तोल हो।

भाई तुम अनमोल हो

हर मुश्किल में तुम
खड़े हो।
हर बाधा से तुम
लड़े हो।

भाई तुम अनमोल हो

भाई बहन के रिश्ते का
तुम ही सच्चा अर्थ हो
हर दुविधा को मिटाने में
 सदैव तुम समर्थ हो।

भाई तुम अनमोल हो।
 
कोमल वचन तुम्हारे
पल में पीड़ा हर लेते हैं।
अदभुत कौशल है तुम्हारा
हर उलझन को सुलझा देते हो

भाई तुम अनमोल हो

सौभाग्यशाली हूँ मैं 
जो तुम मेरे ही भाई हो।
तुम्हारा स्नेह जीवन भर है
फ़िर कहाँ कोई कठिनाई है।

भाई तुम अनमोल हो


रक्षाबंधन के इस पावन उत्सव पर
मेरी बस इतनी सी अभिलाषा है
मेरी स्नेह बन्धन राखी से
सजी तुम्हारी कलाई हो।
 
भाई तुम अनमोल हो

जिस राह को तुम पकड़ो,
उस राह तुम्हारी तरक्की हो।
कार्यक्षेत्र और जीवनक्षेत्र में,
सिर्फ वाह-वाही हो।

भाई तुम अनमोल हो

भविष्य तुम्हारा उज्ज्वल हो।
अधरों पर मुस्कान खिलती हो
फलों-फूलों तुम चिरंजीवी रहो।
जीवन तुम्हारा उल्लासित हो।

भाई तुम अनमोल हो


गुरुवार, 12 अगस्त 2021

Kavita in hindi/हर रोज़ बड़ीलम्बी दूरी/Kavita in hindi

किसी के चेहरे पर मुस्कान 
लाते
किसी चेहरे की थकान 
 मिटाते
ये शब्द, 
किसी के हृदय को छू जाते
हर रोज़ बड़ी
लम्बी दूरी तय कर जाते
ये शब्द।

कभी मरहम से भी नरम
कभी लावे से भी गरम 
ये शब्द।
कभी फैला देते भरम
कभी भूल जाते शरम 
हर रोज़ बड़ी
लम्बी दूरी तय कर जाते
ये शब्द।

हर फ़र्ज़ निभाते
हर रिश्ते को बचाते
ये शब्द
कभी संबल बन जाते
कभी निर्बल बनाते
हर रोज़ बड़ी
लम्बी दूरी तय कर जाते
ये शब्द।

रिश्ते ज़िंदा हैं
इन शब्दों की बदौलत।
बिखरते सम्बन्धों में
इन शब्दों की हिमाकत
हर रोज़ बड़ी
लम्बी दूरी तय कर जाते
ये शब्द।



रविवार, 8 अगस्त 2021

Hindi kavita/best hindi kavita उन्हें भुनाना आ गया।Hindi kavita/best hindi kavita

दर्द को मर्ज को
परिस्थिति को फ़र्ज़ को
जीवन मे चढ़े क़र्ज़ को
उन्हें भुनाना आ गया।

जो मर गया वो तो चला गया
मगर उन्हें क्या कहें जिन्हें
कफ़न से भी कमाना आ गया।
उन्हें भुनाना आ गया।

कहाँ भाव कहाँ भावुकता
कहाँ शब्द कहाँ व्याकुलता।
नैनो में सच्ची अश्रुधार कहाँ
हृदय से छलकता अब प्यार कहाँ?
उन्हें भुनाना आ गया।

अच्छे को बुरे को
उजड़े को संवरे को
खाली को भरे को
उन्हें भुनाना आ गया।

दुःख को गम को
हंसी को खुशी को
तुमको हमको
उन्हें भुनाना आ गया।
कफ़न से भी कमाना
आ गया।


गुरुवार, 5 अगस्त 2021

कुछ बातों में हार जाती हूँ मैं

कुछ बातों में हार जाती हूँ मैं
शायद तुमसे निभाने में
तुम्हें समझ पाने में
या तुम्हें समझा पाने में
कुछ बातों में हार जाती हूँ मैं
ये हद से ज्यादा बेपरवाही
ये हद से ज्यादा बेतरतीबी
शायद परे है मेरी समझ से
कुछ बातों में हार जाती हूँ मैं
तुम्हारा ये सरल को  
जटिल बना देने का कौशल
कुछ भी सुन पाने में अक्षम हो
या कुछ सुनना ही नहीं चाहते हो।
कुछ बातों में हार जाती हूँ मैं
सच है खामियां मुझमें ही है
 बर्बादी मैं देख सकती नहीं
 गलत मै सह सकती नहीं
गलत देखकर चुप रह सकती नहीं।
कुछ बातों में हार जाती हूँ मैं
बड़े माहिर हो तुम डींगें हाँकने में
कैसे देखूं मैं ढहते हुए हर बार
तुम्हारे बनाए हवाई किले
ख़राब होता तुम्हारा 
खयाली पुलाव।
कुछ बातों में हार जाती हूँ मैं
 ऐसा साथ प्रताड़ना है
जो साथ होकर भी साथ नहीं
जिसके अंदर कोई जज़्बात नही
अपनेपन का कोई अहसास नहीं
कुछ बातों में हार जाती हूँ मैं

सोमवार, 2 अगस्त 2021

Zindagi/Kavita in Hindi/hindi kavita

कुछ ही समझी हूं ,
अभी,
कुछ समझना बाकी है,
ज़िन्दगी ।
बिना कोई सवाल किए ,
तेरे जवाब,
सुनना बाकी हैं।
ज़िन्दगी।
कुछ ऐसे जवाब
शायद,जिन्हें सुनने को,
मैं तैयार नहीं।
कुछ ऐसे जवाब,
शायद
जिनकी मुझे,
तुझसे उम्मीद नहीं,
ज़िन्दगी।
कभी कभी,
मेरे दिल का ख्याल रखे बिना,
तू बहुत कुछ बोल जाती है।
मगर मेरी है,
अभी तुझे जीना बाकी है।
ज़िन्दगी।
क्यों ऐसे निरुत्तर,
मुझे कर देती है
प्रश्न भी तू ही उठाती है,
जवाब भी तू ही देती है,
ज़िन्दगी।
कभी - कभी,
बहुत बेबस कर देती है,
ज़िन्दगी।

स्त्री एक शक्ति

स्त्री हूं👧

स्री हूं, पाबंदियों की बली चढ़ी हूं, मर्यादा में बंधी हूं, इसलिए चुप हूं, लाखों राज दिल में दबाए, और छुपाएं बैठी हूं, म...

नई सोच