शनिवार, 29 मई 2021

मैं उसके दिल को ठेस नही लगा सकती। (Hindi Kavita, Hindi Poetry and Poems)






मैं उसके दिल को ठेस नही लगा सकती।
मैं उसके दिल को
 ठेस नही लगा सकती।
माँ हूँ मैं उसकी,
उसका नन्हा सा दिल,
 नहीं दुखा सकती।
भोला सा है वो
प्यारा सा है।
शरारतों से भरा,
पिटारा सा है वो।
हल्की सी ठेस पर
मुझे देखता है।
सहानुभूति भरी
मेरी गोद खोजता है।
मैं उसके दिल को
 ठेस नही लगा सकती।
माँ हूँ मैं उसकी,
उसका नन्हा सा दिल,
 नहीं दुखा सकती।
चम्मच से चप्पल तक
सब उसका खिलौना है
ईँट पत्थर रेत मिट्टी,
सब उसके लिए खाना है।
घर की हर एक चीज़ को
उसे हाथ लगाना है।
दुसरों के सामान पर भी
अपना अधिकार जताना हैं।
मैं उसके दिल को
 ठेस नही लगा सकती।
माँ हूँ मैं उसकी,
उसका नन्हा सा दिल,
 नहीं दुखा सकती।
कोई चीज़ हाथ से छीन लूं,
तो उसे बिखर जाना है।
चिल्ला चिल्ला कर सारा घर
सर पर उसे उठाना है।
प्यारी सी आँखों से,
आंसुओ की झड़ी
लगाना हैं।
मैं उसके दिल को
 ठेस नही लगा सकती।
माँ हूँ मैं उसकी,
उसका नन्हा सा दिल,
 नहीं दुखा सकती।

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सोमवार, 24 मई 2021

मत पूछो हाल मेरा

मत पूछो हाल मेरा
मेरी हर रग दुखती है।
किसे है ख्याल मेरा
ज़िंदगी मुझसे कहती है।
कुछ खास नही होता
उम्र यूँही खिसकती है।
मत पूछो हाल मेरा
मेरी हर रग दुखती है
मैं बेफिक्र नहीं
मैं मस्तमौला नहीं
लापरवाही का कभी
मैने पहना चोला नहीं
बीते और बीतते हर पल की
मुझे  फ़िक्र रहती है।
मत पूछो हाल मेरा
मेरी हर रग दुखती है।
सुबह से शाम
शाम से सुबह
कुछ जटिल बातें
कुछ अंतहीन मतभेद
खुद को सही साबित करने की
हर दिन जद्दोजहद रहती है।
मत पूछो हाल मेरा
मेरी हर रग दुखती है।

मंगलवार, 18 मई 2021

वक़्त वक़्त की बात है

सब वक़्त वक़्त की बात है

कल हम अजीज थे,

दिल के बहुत करीब थे,

शायद तुम्हारा नसीब थे।

मगर आज?

आज हम अजीब हैं।

सब वक़्त वक़्त की बात है।

कल भावों के उफनते

सैलाब थे।

हाथों में गुलाब थे।

सुंदर मीठा सा ख़्वाब थे

मगर आज?

आज हम,बुरे बेहिसाब हैं।

सब वक़्त वक़्त की बात हैं।

सोमवार, 17 मई 2021

Poem on covid/ Era of covid

 In this era of covid


Life is very uncertain today


Death is no longer a surprise 


Nor is death any longer a fear.


Death was irrevocable even before.


Death still persists


Death is determined by birth


Just today death is very untimely.


I don't know tomorrow


Don't you know tomorrow?


Don't you know both of us


Do we both know?


Come on, we will both be


So the reason for this,


Will definitely find it together.


-Mamata Pathak



सोमवार, 10 मई 2021

माँ



कहती कम
वो सहती ज्यादा है।
चिंता में घुली सी
रह गई आधा है।
परिवार के 
मोतियों को
जोड़ने वाला वो
 एक मात्र धागा है।
सबके जीवन को
चमकाती जो,
उसका जीवन
कितना सादा है।
घर का हर कोना
उसके होने से ही
 गुलज़ार है।
वो जो नहीं तो
सूना सा ये संसार है।
माँ धरती पर हमारे लिए
सबसे कीमती उपहार है।
उसके प्रेम और त्याग से
महका सारा घर बार है।

-mamtaपाठक

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नैसर्गिकप्रियतम देखो ना, क्यों?, भटकावप्रेम🌹मत पूछो हाल मेरावक़्त वक़्त की बात हैकोविड का दौर


 


सोमवार, 3 मई 2021

Poem on covid/ कोविड का दौर



कोविड के इस दौर में
आज जीवन बड़ा अनिश्चित है
मृत्यु अब कोई आश्चर्य नहीं 
न ही मृत्यु अब कोई भय है।
मृत्यु पहले भी अटल थी।
मृत्यु आज भी अटल है
मृत्यु तो जन्म से तय है
बस आज मृत्यु बड़ी असमय है।
क्या पता कल मैं ना हूँ।
क्या पता कल तुम न हो।
क्या पता हम दोनों ना हो
क्या पता हम दोनों ही हों।
चलो हम दोनों ही होंगे,
तो इस होने की वजह को,
मिलकर ज़रूर ढूढेंगे।
-ममता पाठक

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स्त्री हूं👧

स्री हूं, पाबंदियों की बली चढ़ी हूं, मर्यादा में बंधी हूं, इसलिए चुप हूं, लाखों राज दिल में दबाए, और छुपाएं बैठी हूं, म...

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