बुधवार, 30 जून 2021

kahani/hindi/best/ सच कुछ और ही पार्ट-४

 बोलते बात बहस में बदल गई, बस आज से एक अन्त हीन बहस छिड़ी वो बहस न्यायालय के दरवाजे पर खत्म हुई।
कागज़ी कार्यवाहियां शुरू,ये अनसुलझी लड़ाइयां जब शुरू होती हैं, भले ही ये कागज़ों पर खत्म हो जाएं, मग़र आपके जीवन से खत्म नही होती,ये आपके दिल दिमाग मे जीवन पर्यंत रहेंगी और बार बार चोट पहुंचाएंगी।
दूसरी बात आप दोनों चाहे अलग हो जाए मग़र बीच में  आपकी मासूम सन्तान पिस जाती हैं, जिसे माँ और बाप दोनों चाहिए। छोटे से बच्चे का संसार ही आप हैं,वो नही कह पाएगा आपसे की वो कितना आहत है अंदर से, आप उसे महसूस भी नहीं कर पाएंगे,क्योंकि आप अपने इगो में हैं,बाल मन बड़ा ही कोमल होता है,इस समय लगे मानसिक आघात से बच्चे जीवन भर नहीं निकल पाते,वो इमोशनली वीक हो जाते हैं।  इस निर्णय को लेने में हम उस मासूम की सहमति नही ले पाते और वो इतना बड़ा भी नहीं कि कोई राय दे सके।
प्रायः लोग कोशिश यही करते हैं कि उनके आपस मे भले ही कितना ही मनमुटाव हो पर वो पब्लिक न हो। मग़र यहाँ यतीश पहले ही मीडिया के सामने पेश हो गया,अपना पक्ष रखते हुई उसने निधि पर कई लाँछन लगा दिए,जो बात घर की चहारदीवारी में थी वो सरेआम हो गई। इज्ज़त की धज़्ज़िया उड़ गई।
ऐसे मे निधि क्यों पीछे रहती उसने भी यतीश का काला चिठ्ठा लोगो के सामने खोल दिया,कोई बात अब दोनों के बीच की नही थी,सब पब्लिक थी।
आम लोग हो तब भी बात एक शहर तक सीमित रहती है,मग़र आप सेलिब्रिटी हैं तो फिर,बात हर जुबान पर आ जाती है,जितना बड़ा नाम उतना बड़ा बदनाम ऐसा ही कुछ इस रिश्ते में भी हुआ।
अब बचाने को उनके रिश्ते में कुछ नही है क्योंकि हर कोई जानता है,फाइनल डेस्टिनेशन है दोंनो का सेपरेशन।
और हममें से हर कोई जानता है जब ये कोर्ट कचहरी के चक्कर, तारीख लगना, कोर्ट में पेश होना इन सारी चीजों में मेन्टल एक्सप्लॉइटशन ज्यादा होता हैं, रिश्ते हम ख़ुद बनाते हैं उन्हें तोड़ने कचहरी जाते है।
जिसने ये सब झेल होगा वो बेहतर समझेगा ये कोर्ट कचहरी में लोग  कितनी मानसिक शांति खो बैठते हैं। आप ख़ुद ही सोचिए। कितना सही है डिवोर्स?
निधी और यतीश ने बड़े खूबसूरत जज्बातों के साथ अपना जीवन शुरू किया और अंत ऎसा हुआ।
आज वो दोनो तारीख लगने पर कोर्ट जाते हैं, बस ये ही सिलसिला पिछले कई महीनों से चल रहा है। उनको पता नहीं कौन सी तारीख आख़िरी होगी,कब मिलेगी कोर्ट से छुट्टी।
 कोर्ट को छोड़ दीजिए और भी बहुत बड़े मुद्दे हैं समाज मे जो कॉर्ट को निबटाने हैं, मगर हम ही हैं जो अपने मामूली से झगड़ो को भी उन मुद्दों में शामिल कर देते हैं, एक ज़िंदगी है मगर लोग एक रिश्ते में खुश नहीं रह पाते, रिश्तों के साथ एक्सपेरिमेंट क्यों क्या हमारे जीवन का उद्देश्य सिर्फ इतना ही था?
निधि और यतीश के पास एक दूसरे को देने के लिए नफ़रत के सिवा कुछ नहीं।कहदो की वो शुरुआत झूठी थी या ये अंत झूठा हैं, निकल पड़े हैं दोनों एक अन्त हीन सफ़र की ओर। सेपरेशन कब होगा नहीं पता मग़र अब दोनों लगे हैं गव्वाह और सबूत जुटाने में ताकि खुद को सही साबित कर सकें ।
ज्यादातर रिश्तों की आज ये ही कहानी है,मगर इन सब बातों में जो अहम हैं वो ये की" जवानी में  जब कोई सक्षम है सुंदर है तब किसी का साथ देना कोई बड़ी बात नहीं,बड़ी बात है जवानी में रिश्ता बनाकर कर साथ साथ बूढ़े हो जाना" । रिश्तों की खूबसूरती कभी टूटने में नहीं है,रिश्ते तो वो ही हैं जो ताउम्र जुड़े हैं उन्हें किसी सिथेंटिक ग्लू की आवश्यकता नहीं।

सोमवार, 28 जून 2021

kahani/hindi story/सच कुछ और ही पार्ट ३

निधि का दिमाग सवालों की चपेट में आ गया,वो खुद को समझा नही पा रही थी,मगर वो अजीब से दर्द को महसूस करने लगी,अब आगे जाए की नहीं।उफ़्फ़ ये मैने क्या देखा और क्यों देखा,वो सबकुछ झुठला देना चाहती थी काश की ये स्वप्न हो और वो जाग जाए। मगर जो देखा वो सच था। अचानक उसके हाथों में हरकत हुई उसने मोबाइल निकाला और दोनों की पिक क्लिक कर ली। दोनों हाथ मे हाथ लिए बातों में मशगूल थे उन्हें कोई खबर न थी।तभी लाइट ग्रीन हुई और गाड़िया आगे बढ़ गईं।
निधि सकते में आ गई, एक पल में सबकुछ बदला सा लगा,जैसे सबकुछ छिन गया हो,अब हिम्मत नहीं थी आगे जाने की,उसने ड्राइवर को गाड़ी वापस लेने को कहा।
वो खुद को टूटा,कमजोर,असहाय सा महसूस करने लगी,पल भर में वो कितनी अकेली हो गई थी,हारे हुए कदमो से वो घर पहुंची,आज कुछ खाने पीने का मन नहीं किया जैसे कीजैसे कि भूख प्यास खत्म हो गई थी।
रात काफी हो गई थी और यतीश नहीं आया वो इंतज़ार करती रही। डिनर का समय बहु निकल चुका था।
रात को यही कोई एक बजे यतीश घर पहुंचा, निधि बस इतना बोल पाई,"बड़ी देर कर दी" यतीश " हां आज शूटिंग देर तक चली,तब लेट हो गया"
निधि मन ही मन सोच रही थी,"देर तो वाक़ई बहुत हो गई मुझे जागने में"उसने उस समय यतीश से किसी बात का ज़िक्र नही किया वैसे भी रात का समय था,उसे लगा क्षय बेवजह बहस न हो जाए।
यतीश चेंज करके सोने चला गया, निधि अब भी लिविंग रूम में सोफ़े पर ही बैठी थी,नींद आंखों से कोसो दूर थी,अपने अंदर अपने अस्तित्व को तलाश रही थी।
आंखों ही आंखों में रात निकल गई। सुबह काफ़ी थकान भरी थी,नींद न होने की वजह से आंखें दुःख रही थी, यतीश जल्दी तैयार हो चुका था,"सुनो मुझे जल्दी जाना होगा,मैं नाश्ता वहीं कर लूंगा" निधि " इतनी सुबह कहाँ जाना है ?
"शूटिंग पर और कहां, हो सकता है आज आउटडोर हो,हमें शिमला जाना पड़ सकता है कुछ दिनों के लिए" 
"ओह्ह" इतना ही बोल पाई वो।
अगले पांच दिन यतीश आउटडोर शूटिंग के बहाने घर नहीं आया,निधि ने बीच मे दो चार बार कॉल भी किया था मगर उसने बिजी हूं कहकर फोन डिसकनेक्ट कर दिया।
निधि कई दिन से सुलग रही थी,जैसे ही यतीश घर पहुंचा, उसने उसे रोक लिया,उसकी आंखों में आंखें डाल कर जानने की कोशिश करने लगी," कहाँ थे पांच दिन?"
यतीश को ऐसे सवाल की आशंका न थी,"ये कैसा  बेहुदा सवाल है?
सवाल बेहुदा नहीं,बेहूदे तुम हो" जो शूटिंग की आड़ में कहीं और..... 
तुम कहना क्या चाहती हो?
वो ही जो अब तक कह नहीं पाई।
घर पर रहकर तुम डंप हो गई हो,कुछ भी बोल रही हो।
मैंने कुछ भी आज तक तो नहीं बोला। तुम झूठ बोलते हो मुझसे।

रविवार, 27 जून 2021

कहानी/हिंदी स्टोरी/ सच कुछ और ही पार्ट-२

मगर समय के साथ यतीश को लगा कि ये रिश्ता दोस्ती से बढ़कर भी कुछ और है यही कुछ निधि ने भी महसूस किया,निधि ने पहल नहीं कि उसे यकीन था यतीश पहल करेगा और यतीश ने संकुचाते हुए एक दिन निधि के सामने प्रेम प्रस्ताव रख ही दिया और निधि...,निधि तो जैसे हां कहने का ही इंतज़ार कर रही थी। जोड़ी बन गई दोनों ने एक दूसरे के साथ काफ़ी अच्छा क्वालिटी टाइम स्पेंड किया,एक साल का समय इस रिश्ते को देने के बाद दोनों ने डिसाइड की अब शादी कर लेनी चाहिए और समय बीता और शादी का शुभ लगन भी आ ही गया,बहुत किस्मत वाले होते हैं वो लोग जो जैसा चाहते हैं उनको वैसा मिल भी जाता है। मगर सच ये है कि क़द्र कितने लोग कर पाते हैं कितने लोग शुक्रगुजार होते हैं? एक कहावत है "ना मिले तो सोना मिल जाए तो मिट्टी"।
     दोनों ने दस साल वैवाहिक जीवन के बहुत अच्छे निकाले,
  हंसी खुशी में,जीवन ऐसे ही बीतता है,जिस समय निधि ने यतीश से विवाह किआ था उस समय वह छबीस बरस की थी,दस साल बाद उसका एक बेटा भी है जो अभी कुछ ही महीनों का है, अब महिलाओं के साथ ये है कि मां बनने के बाद उन्हें कुछ साल अपने बच्चे को देने ही है,चाहे वो कितनी ही बड़ी सख्सियत क्यों न हो,वो अपने बच्चे की फुल टाइम सर्विस में लग जाती है जबकि पुरूष के लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं है, निधि का करियर थम सा गया,जबकि यतीश व्यस्त है,आउटडोर शूटिंग पर,वो काफ़ी दिनों तक फैमिली से दूर  रहता है फिर कुछ दिनों के लिए वापस आता है फिर निकल जाता है।जबकि निधि को समझने का भी समय नहीं है क्योंकि दिन भर बेबी का कुछ न कुछ काम लगा ही रहता है,उसे अभी बाहर की दुनियां में क्या चल रहा है ये झांकने की फुरसत भी नहीं है। इसी व्यस्तता में वो खुद का ख्याल नही रख पाई। हालंकि मेड है काफी सारे काम वो निबटा देती है मगर एक छोटे से बच्चे के ज्यादातर काम उसकी मां को ही करने होते हैं। 
बच्चा होते ही,मां के लिए वो ज्यादा अहम हो जाता है,उसके काम को ही ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है, ऐसा होना भी चाहिए। 
मगर पुरूष की प्राथमिकता क्या होती है? (माफ कीजियेगा ये बात सब पर लागू नही होती मगर बहुतों पर लागू ज़रूर होती है) रूप सौंदर्य यौवन ? निधि व्यस्त है वो पहले की तरह यतीश के साथ समय नहीं बीता पाती, हां पहले की तरह अभी वो आकर्षक भी नज़र नहीं आती,खुद को देने के लिए पहले जितना समय अभी उसके पास नहीं है। मग़र यतीश उसकी क्या जिम्मेदारी है? 
यही कि वो एक कमसिन लड़की देखकर फिर से एक नया रिश्ता जोड़ ले? यही वज़ह थी कि वो अपने परिवार को अब समय नहीं दे पा रहा था क्योंकि उसे क़्वालिटी टाइम कहीं और स्पेंड करना था,कितना दुःखद हैं ये सब, जब एक लड़की  पत्नी बन कर पत्नी की और माँ बनकर माँ की ज़िम्मेदारी बख़ूबी निभाती है मगर वहीं एक पुरुष जो पति होकर ये भूल जाता है कि वो पति भी है। अब उसे कुछ नया चाहिए क्योंकि अब पुराने में वो बात नहीं। 
क्या दिल के ये सो कॉल्ड रिश्ते इतने कमज़ोर होते हैं? जिनमे रिश्तों का अहसास ही नहीं होता,कि लोग हर चीज़ को एंटरटेनमेंट की तरह लेते हैं।
निधि अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में और यतीश तफ़री में व्यस्त था,मग़र निधि ये कल्पना भी नहीं कर सकती कि ऐसा कुछ है,सच दूर की बात है वो सपने में भी यकीन नहीं कर सकती कि यतीश...उफ़्फ़
क्योंकि उनका विवाह प्रेम विवाह है, उससे पहले उनके कई कसमे वादे है,एक साथ कई खूबसूरत यादें हैं, वो तो ......बस इतना जानती है अभी ज़िमेदारी निभानी ज्यादा जरूरी है वो यतीश बखूबी निभा रहा है जब तक वो काम पर वापस नहीं लौटती। इस तरह से ही चलेगा। मगर उसके पीठ पीछे बहुत कुछ चल रहा था जो उसे पता भी नहीं था।
मग़र जिस दिन ये भरम टूटता है उस दिन बहुत कुछ टूट जाता है पैरों तले जमीन नहीं रहती सिर के ऊपर आसमान नहीं रहता है ये जीवन जिस रिश्ते की ताकत के भरोसे चलता है एका एक पता चलता है वो रिश्ता है ही नहीं वो तो भरम मात्र था।
निधि के ब्लाइंड ट्रस्ट ने कभी भी यतीश को आदर्श पति के व्यक्तित्व से बाहर नहीं निकलने दिया,ऐसा होते होते चार साल बीत गए,हालांकि इस बीच यतीश की हरकतें काफी कुछ ऐसी थी कि कोई भी समझ जाता कि कुछ तो गलत है मगर यतीश अपनी लच्छेदार बातों में फिर से निधि को उलझा देता।
एक दिन निधि को लगा काफी समय हो गया घर पर रहते हुए,अब बच्चा चार साल का हो चुका है, उसे मेड के साथ छोड़ा जा सकता है और मै फिर से काम की शुरुआत कर सकती हूं,ये सोच कर उसने तुरंत प्लान बना लिया कि आज ही निकल जाती हूँ। यतीश को वह बता नहीं पाई,क्योंकि वो जा चुका था, फ़िर उसने सोचा कॉल करके क्या बताना सरप्राइज दूंगी।
आधे घंटे में तैयार होकर,बच्चे को मेड के साथ छोड़ कर वो निकल पड़ी,लगभग चार साल बाद आज घर से इस तरह  निकली थी,सब कुछ बदला सा लग रहा था।कई सारे सवाल दिमाग मे चल रहे थे,अब काम मिलेगा के नहीं, अब पहले वाली बात भी कहां है। क्या होगा पता नहीं। निधि ऑलमोस्ट अपने ख़यालों की उधेड़बुन में गुम है।
तभी गाड़ी रेड लाइट पर रुकी,ब्रेक लगने से निधि का ख़यालों का क्रम टूटा..उसने गर्दन इधर-उधर घुमाई.. अर्रे,ये क्या" यतीश??" उसका माथा ठनका उसने यतीश की गाड़ी को रेड लाइट पर देखा "यतीश इस समय यहाँ" "वो भी किसी लड़की के साथ" "ये कौन है" "इस समय ये यहां कैसे" "इसकी तो शूटिंग थी" ओह्ह ये लड़की ये तो,"इसकी बॉडी लैंग्वेज,उसकी बॉडी लैंग्वेज से तो इसकी काफी क्लोज लग रहीं है"।
ओह्ह नहीं नहीं क्या ये सच है या कोई सपना है। कुछ ऐसा ही झटका लगता है जब कुछ अप्रत्याशित घट जाता है तो...To be continued in next post

शुक्रवार, 25 जून 2021

कहानी /story/हिंन्दी/ बेस्ट


 वो बीस साल की उम्र,वो रूप लावण्य,मृग से नयन,??किसको नहीं मोह लेते? बस आजकल प्रेम सिर्फ चेहरे और उम्र के आकर्षण तक रह गया है, ये मायने नही रखता कि, आप वो ही आप हो, आप चालीस की उम्र में कितनी आकर्षक हो मायने यह नही रखता है,मायने ये रखता है कि आप अब बीस की नहीं हो,आप अब जवानी की दहलीज को लांघने को तैयार हो,इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आपका दिल आज भी वो ही प्यार भरा दिल है,इससे कोई फर्क नही पड़ता कि "वी आर ग्रोइंग ओल्ड टूगेदर" इससे बहत फर्क पड़ता है "यु हैव ग्रोन ओल्ड"। बेशक मैं महिलाओं की ही बात कर रही हूं, पुरूष,पुरूष हैं वो ओल्ड कहाँ होते हैं?वो ओल्ड भी गोल्ड है, बूढ़ी तो महिलाएं हो जाती हैं, भरे समाज में किसी महिला को अगर बेइज़्ज़त करना हो तो आजकल लोगो ने बड़ा आसान टारगेट बना लिया है उनकी उम्र पर धावा बोल दो,कहीं भी किसी को भी बोल दो "बूढ़ी आंटी" उफ़्फ़ ऐसा अपमान, ऐसा कि बुढापा कोई बीमारी हो,ये हमारे समाज में महिलाओं के लिए सोच रखी जाती है,सबसे बड़े आश्चर्य की बात ये है जो लोग इस तरह की टिप्पणी करते हैं उन्हें देखकर तो ये ही लगता है जैसे उनकी उम्र और जवानी स्थिर हो। माफ कीजिएगा ये कहानी से ज्यादा भाषण लग रहा है। बात निधि और यतीश की है,ग्लैमर की दुनिया की चकाचौंध में दो लोग कब करीब आते हैं कितनी जल्दी रिश्तों में बंध कर अलग भी हो जाते हैं, ऐसा लगता है कितना आसान है ना इनके लिए सालों पुराने रिश्ते एक झटके में तोड़ देना? यही कोई चौदह साल पुरानी बात है जब यतीश को निधि किसी धारावाहिक के शूटिंग के सेट पर मिली थी,उस समय निधि अपने करियर के शिखर पर थी,नाम पैसा शोहरत सब कमा रही थी,जबकि यतीश कुछ खास नहीं कर पाया था अब तक,उसी धारावाहिक में जहां निधि लीड रोल निभा रही थी यतीश को भी छोटा मोटा किरदार मिल गया। इन्ही दिनों शूटिंग के दौरान निधि यतीश को साथ उठने बैठने का काफी समय मिला इसी वजह से वो काफी अच्छे दोस्त भी बन पाए...To be continued in next post

वो चले गए

kavita in hindi 



वो चले गए
तुम भी चले जाओगे।
लाखों करोड़ो,
अरबों की सम्पत्ति।
जिसके लिए ताउम्र
सुकून खोया।
वो छोड़ गए।
वो चले गए
तुम भी चले जाओगे
जिसके लिए अपनो से रूठे
कितने रिश्ते टूटे
रिश्तों की मर्यादा तोड़
क्या क्या न कह बैठे
वो चले गए
तुम भी चले जाओगे
दम्भ अभिमान में
कागज़ के टुकड़ों की
शान में।
झूठी क्षणभंगुर
पहचान में।
वो चले गए
तुम भी चले जाओगे


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मंगलवार, 22 जून 2021

तुम थकती क्योँ हो मां

kavita in hindi


तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।
तुम खुद को मशीन मानो
साल भर में थोड़ा बहुत 
चल जाता है यार
पर हर शाम यूँ निढाल 
न पड़ जाया करो
तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।?
तुम तो हर किसी की मर्जी से
बस स्विच ऑन और 
स्विच ऑफ हो जाया करो।
एक आवाज़ पर ही
खाना बिस्तर पर ले आया करो
तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।
अब हम बड़े हैं समझदार हैं।
अपना ख्याल रख सकते हैं
बात न भी हो रोज़
ख़ैरियत से ही होंगे
इतना तो खुद समझ जाया करो।
तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।
 घर पर रहती हो तुम
तुम्हारा काम ही क्या है।
हम अपने कामों में,
पहले से ही बहुत उलझे हैं
तुम अपने इमोशनल ड्रामा से
हमें,और न उलझाया करो।
तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।
और सुनो जो कुछ भी तुम
करती हो हमारे लिए
वो तुम्हारा फर्ज़ है माँ
दुनिया की हर मां करती है।
इसलिए कर्तव्यों का अहसान
न जताया करो।
तुम थकती क्यों हो माँ
तुम्हे ये हक किसने दिया।



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सोमवार, 21 जून 2021

वो गरीब रहा

वो गरीब रहा
वो गरीब रहा कंगाल रहा
विपत्तियों के बोझ से
ज़िंदगी भर मालामाल रहा।
वो गरीब रहा कंगाल रहा
अंतर में उसके
वेदना का ही भूचाल रहा
वो स्नेह न बरसा पाया।
हर तरफ घृणा का जाल रहा।
वो गरीब रहा कंगाल रहा।
देखता रहा काल को,
धैर्य बँधाता रहा मन को,
रोकता रहा पीड़ा के,
उफ़नते बांध को।
कोसता रहा जीवन को।
वो गरीब रहा कंगाल रहा।
हां कुछ पल मुस्कुराया वो,
लहलहाती फ़सल देखकर।
और कई सावन रोया।
बंजर भूमि देखकर।
वो गरीब रहा कंगाल रहा।
उसकी चिंता,चिता बनी,
उसके दुःखो की,
कथा बनी।
अधरों के नीचे रही तनी,
अनकही उलझी,
व्यथा बनी।
वो गरीब रहा कंगाल रहा

उसने प्रेम में

kavita in hindi

उसने प्रेम में कुछ 
ऐसी शर्त रखी मुझसे।
साथ दूंगा जीवन भर
मगर ख़बरदार
कभी कोई सवाल
 न हो मुझसे।
उसने प्रेम में कुछ 
ऐसी शर्त रखी मुझसे।
मेरी शर्तों पर जीना
मेरी ही शर्तों पर मरना
अगर ख्वाइश है।
 रिश्ता बनाए रखना।
उसने प्रेम में कुछ 
ऐसी शर्त रखी मुझसे।
तेरा गम तेरा ही रहेगा
मुझसे बाँटने की
सोच न लेना।
हा खुशी बाँटने
के लिए
मैं हरदम 
तैयार हूं।
उसने प्रेम में कुछ 
ऐसी शर्त रखी मुझसे।
मुझे एक जीती जागती
सूरत से।
एक खामोश 
मूरत बना दिया
प्रेम देने की एवज़ में
मेरा अस्तित्व ही मिटा दिया।
उसने प्रेम में कुछ 
ऐसी शर्त रखी मुझसे।

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रविवार, 20 जून 2021

#Moहब्बत ना हुई। कोई शौक हो गया

kavita in hindi

मोहब्बत ना हुई।
 कोई शौक हो गया 
हर कोई हर कोई
ये शौक फरमा गया, 
 मोहब्बत ना हुई।
 कोई शौक हो गया 
मोहब्बत का शौक 
जरुर फरमाइए,
 मगर,मोहब्बत है क्या?
ज़रा सा ही समझ जाइए 
मोहब्बत ना हुई।
 कोई शौक हो गया 
हर कोई हर कोई
ये शौक फरमा गया, 
पल भर के इश्क का 
यूँ लुफ्त ना उठाइये। 
किसी मासूम के जज्बातों से
ऐसे न खेल जाइए।
निभा पाओगे उम्र भर
बस इतना सा बताइये?
झूठे कसमें वादों से
किसी का दिल न बहलाइए।
मोहब्बत ना हुई।
कोई शौक हो गया 
हर कोई हर कोई
ये शौक फरमा गया, 

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ये मनःस्थितिहे मनुष्य तुमने क्या चाहामैं बूढ़ा हो गयाये आँसू बह जाते हैनैसर्गिकमैं उसके दिल को ठेस नही लगा सकती।मत पूछो हाल मेरावक़्त वक़्त की बात हैमाँकोविड का दौरजल ही जीवन है


शुक्रवार, 18 जून 2021

kavita/poetry ये मनःस्थिति in hindi


ये मनःस्थिति
कभी भी बिगड़ जाती है
मेरी है ज़रूर
मगर मेरे हाथ मे नहीं आती है
ये मनःस्थिति
कभी भी बिगड़ जाती है
कभी इसके कभी उसके
न जाने किसके किसके
हाथ में आ गई
 ये मनःस्थिति
बस मेरे ही हाथ
कभी न आ पाई।
ये मनःस्थिति
हर किसी को मैंने
खुद से सक्षम पाया।
बड़ी ही आसानी से
जिसने हिलाकर रख दी
ये मनःस्थिति
किस तरह मैंने 
अपने ही मन की
डोर किसी और को
थमा दी।
जिसने जैसे चाहा
वैसे बना दी 
ये मनःस्थिति


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गुरुवार, 17 जून 2021

kavita/Hindi हे मनुष्य तुमने क्या चाहा?kavita/Hindi

बचपन
हे मनुष्य तुमने क्या चाहा
बचपन के चिन्तामुक्त दिनों में
अठखेलियों में
निसंकोच बर्ताव में
हे मनुष्य तुमने क्या चाहा?
 उस उन्मुक्त हंसी में।
क्षण भर के लगाव में
अगले क्षण के अलगाव में
हे मनुष्य तुमने क्या चाहा
स्वच्छंद जीवन मे भी
अक्सर बड़ो को देखकर
तुमने, 
बड़ा होना ही चाहा।
हे मनुष्य तुमने क्या चाहा
जवानी
बचपन में रहकर तुमने
 बचपन को भी नहीं चाहा
तो जवानी में आकर
इसे क्यों?
तुमने चिरस्थाई चाहा?
हे मनुष्य तुमने क्या चाहा?
क्यों जवानी को ही चाहा?
चाहे उम्र कितनी बढ़ जाए।
क्यों चाहा कि
 चेहरे पर कोई, 
सिलवट न आए।
बढ़ती उम्र के ख़ौफ को
स्वंय पर हमेशा
हावी पाया।
हे मनुष्य तुमने क्या चाहा?
हर उम्र का अपना सौंदर्य है।
हर उम्र की अपनी परिपक्वता।
प्रकृति का नियम ही ये हैं
जीवन में बनी रहे निरंतरता।
हे मनुष्य तुमने क्या चाहा?
आंखिर जीवन नश्वर ही है
अंत हमारी मृत्यु ही है।
जीवन एक विस्मय ही है।
फिर भी तुमने क्या चाहा?
बुढापा
रोकता रहा बुढ़ापे को तू
मगर मृत्यु पे तेरा ज़ोर न होगा।
बुढ़ापा तुझे नही चाहिए।
मृत्यु को तू टाल न सकेगा
हे मनुष्य तुमने क्या चाहा
आज नहीं तो कल 
स्वीकार तुम्हें करना ही होगा।
बुढ़ापा भी अपनी जगह सुंदर है।
हरदम तू जवान ही रहेगा
तो जवानों का मार्गदर्शन कौन करेगा
वो भी जवानी की चाहत रखे रहेंगे
बताओ फिर बूढ़ा कौन होगा?
हे मनुष्य तुमने क्या चाहा?


सोमवार, 14 जून 2021

मैं बूढ़ा हो गया



गली में उछलते कूदते
बच्चे से न जाने कब
मैं बड़ा हो गया।
आज आईने में
 खुद को देखा
तो पता लगा
मैं बूढ़ा हो गया।
मुझे तो सिर्फ और सिर्फ
वो बचपन याद है।
वो गलिओं की
खाक छानना याद है।
वो पिता की डांट
वो माँ का थप्पड़ याद है।
गली में उछलते कूदते
बच्चे से न जाने कब
मैं बड़ा हो गया।
स्मृति में खुशी टटोली तो
जवानी में वो मिली नहीं
जवानी की कोई कहानी
भी मुझे याद नहीं।
बस जवानी की 
दिवास्वप्न
वो हड़बड़ी याद है
जिम्मेदारियों की 
गठरी ढोता
जीवन याद है।
हर बीतते सफ़र में
कुछ बेहतरी की
चाहत याद है।
गली में उछलते कूदते
बच्चे से न जाने कब
मैं बड़ा हो गया।
पूरी जवानी निकल गई
कुछ कर गुजरने की
चाह भी मेरे मन मे ही
रह गई।
आज अफ़सोस के 
सिवा,भला क्या रहा?
न उम्र रही न समय रहा
कल कल के फेर में
मेरा सारा जीवन 
कल में ही रह गया।
गली में उछलते कूदते
बच्चे से न जाने कब
मैं बड़ा हो गया।
आज आईने में
 खुद को देखा
तो पता लगा
मैं बूढ़ा हो गया।

गुरुवार, 10 जून 2021

ये आँसू बह जाते है


ये आंसू बह जाते हैं
इनका क्या है।
दिल के दर्द को 
कह जाते हैं
इनका क्या है
ये आँसू बह जाते है।
इनका क्या है।
मग़र आंसुओ से
दुनिया नहीं रुकती।
मग़र आँसुओ से,
होनी नहीं टलती।
ये आंसू बह जाते हैं
इनका क्या है।
अच्छे अच्छे साथ
 छोड़ जाते हैं
सिर्फ एक मोड़ आते ही
मुँह मोड़ जाते हैँ
ये आंसू ही तो हैं
जो साथ दे जाते है।
अनंत पीड़ा को भी
संग बहा ले जाते हैं
ये आंसू ही तो है
जो बह जाते है।
कभी हल्की 
फुहार से बरस जाते हैं
कभी उफनते सैलाब से
उमड़ जाते हैं
कभी पलकों में भी
 दबे  रह जाते हैं
मग़र अक्सर ही
ये आँसू बह जाते हैं।

शुक्रवार, 4 जून 2021

नैसर्गिक

सीधी साधी मेरी भाषा होगी
सीधे साधे ही मेरे भाव होंगे।
न बनावट मिलेगी,
न कोई सजावट होगी।
वही होगा जो सहज है
वही होगा जो सरल है।
किसी की इंद्रियों को,
जो तृप्त करें।
ऐसे शब्द कदापि नहीं होंगे
जो होगा नैसर्गिक होगा
इनमे अश्लीलता का,
 अभाव होगा।

स्त्री एक शक्ति

स्त्री हूं👧

स्री हूं, पाबंदियों की बली चढ़ी हूं, मर्यादा में बंधी हूं, इसलिए चुप हूं, लाखों राज दिल में दबाए, और छुपाएं बैठी हूं, म...

नई सोच