सोमवार, 25 अगस्त 2025

कोशिश तो बहुत की मैंने

कोशिश तो बहुत की मैंने 
कि मैं रुक जाऊ ..
कोशिश तो बहुत की मैंने 
कि मैं रुक जाऊ ..

और लगा दी तमाम उम्र 
इस कोशिश में ही ।...
और लगा दी तमाम उम्र 
इस कोशिश में ही..  
कोशिश तो बहुत की मैंने 
कि मैं रुक जाऊ ..
लेकिन नाकाम रही हर बार
मेरे रुकने की वो कोशिश 
क्योंकि ...
जहां मंजिल थी ही नहीं 
तो वहां पड़ाव कैसा??..

 रास्ते पर रुकने वाले 
मुसाफिरों को..
रुक कर चलना ही पड़ता है 
रास्ते पर रुकने वाले 
मुसाफिरों को
रुक कर चलना ही पड़ता है ..
अगर 
रुकने का मन ही बना लो
 रास्तों पर
तो आने जाने वाले कदमों 
की 
ठोकरों को भी सहना पड़ता है ...
अगर 
रुकने का मन ही बना लो
 रास्तों पर
तो आने जाने वाले कदमों 
की 
ठोकरों को भी सहना पड़ता है ...


बिन आशियाने का मुसाफ़िर 
ता उम्र रास्तों पर चलता है ...
इस उम्मीद में कि कभी ये रास्ते 
आशियाने से जा मिलेंगे 


बिन आशियाने का मुसाफ़िर 
ता उम्र रास्तों पर चलता है 
बस एक उम्मीद में कि
कभी ये रास्ते आशियाने से
जा मिलेंगे।






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