मन सोचता है क्यों करूं
क्यों कहूं
क्यों बताऊं
भावनाओं का सब
ताना बना
शब्दों से जो बुना गया
शब्दों का वो
अनवरत परवाह
जिन्होंने कभी
कोई सीमा नहीं मानी
जिन्होंने कोई
मर्यादा नहीं जानी
उनके रास्ते में आज
एक अवरोध सा है
वो शब्द अब संकुचा
रहे हैं।
तुमसे खुलने से
जाने क्यों अब
कतरा रहे हैं।
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