सोमवार, 25 अगस्त 2025

क्यों करूं

कुछ भी बात करूं तो
मन सोचता है क्यों करूं
क्यों कहूं 
क्यों बताऊं 
भावनाओं का सब 
ताना बना 
शब्दों से जो बुना गया
 शब्दों का वो 
अनवरत परवाह 
जिन्होंने कभी 
कोई सीमा नहीं मानी
जिन्होंने कोई
मर्यादा नहीं जानी
उनके रास्ते में आज
एक अवरोध सा है 
वो शब्द अब संकुचा 
रहे हैं।
तुमसे खुलने से
जाने क्यों अब
कतरा रहे हैं।





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