मंत्र कोई भी हो।
जाप में अगर शिद्दत हो।
तो मंत्र सिद्ध हो जाते हैं।
मंत्र रग रग में बस जाते हैं।
अब मंत्र तुम्हारे वश में नहीं
तुम मंत्र के वश में हो।
तुम चाहे सोओ जागो
रोओ बैठो खाओ
कुछ निरंतर है
जो घट रहा है
तुम्हारे भीतर।
जिसका तुम्हारी
मनःस्थिति से कोई
सरोकार नहीं।
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