हे मनुज क्यों बैठे हो बेकार
क्यों नही करते कुछ ऐसा विचार।
करे जो नवजीवन संचार
कण कण में भर दे प्रज्वलित प्राण
जीवन को दे नया आकार
मिले तुम्हें सुख का उपहार
हे मनुज क्यों बैठे हो बेकार
क्यों नही करते कुछ ऐसा विचार
जो दे तुम्हे उचित सलाह अपार
व्यक्त करो उसका आभार
दुःख को भी सहर्ष करो स्वीकार
अपने सपने करो साकार
हे मनुज क्यों बैठे हो बेकार
क्यों नही करते कुछ ऐसा विचार
यूँ जीवन को न मानो हार।
कठिनाइयों को समझो आहार
समझ गए जब लगन का सार
नही पाओगे स्वयं को लाचार
हे मनुज क्यों बैठे हो बेकार
क्यों नही करते कुछ ऐसा विचार
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