तुम्हारा
वो बचपन
जो तुम छोड़ आए।
तुम्हारी वो
मासूमियत
मुझे याद है
तुम्हारे
खेल अज़ब थे
जब तुम्हारे खिलौने
अज़ब थे
मुझे याद है।
वो बचपन
जो तुम छोड़ आए।
तुम हर चीज से
खेल सकते थे।
हर छोटी सी
बात पर खुश होते थे।
तुम उम्र से पहले
बड़े हो गए।
वो बचपन
क्या गया
साथ गई
तुम्हारी मासूमियत
मुझे याद है।
वो बचपन
जो तुम छोड़ आए।
तुम्हारी वो
खिलखिलाती
हंसी भी गई।
शरारतों को साथ
ले गई।
मुझे याद है।
वो बचपन
जो तुम छोड़ आए।
तुम बड़े तो हो गये
ये तो खुशी की बात है।
मग़र पता नही क्यों?
मुझे अफ़सोस है
तुम्हारी मासूमियत
खोने का।
मुझे याद है।
वो बचपन
जो तुम छोड़ आए।
अब तुम्हारे खिलौने
बदल गये।
अब तुम सेल फोन
से खेलते हो।
दुनिया तुम्हारी
वर्चुअल है।
नेटवर्क न आने से
चिढ़ते हो।
मुझे याद है।
वो बचपन
जो तुम छोड़ आए।
अब कोई तुम्हें
कॉल न करे
तुम डी एन डी
एक्टिवेट रखते हो।
गेम खेलते हुए
गलत शब्दों का प्रयोग
करते हो।
मुझे याद है।
वो बचपन
जो तुम छोड़ आए।
अब तुम्हारे सारे
एक्सप्रेशन
गेम खेलते हुए
दिखते है।
कभी गुस्सा
कभी हंसी
कभी दौड़ भाग
गोली बारूद
मार काट
सब स्क्रीन पर चलती है।
मुझे याद है।
वो बचपन
जो तुम छोड़ आए।
तुम वास्तविकता में
कहाँ हो?
किस धुन में
तुम खाते हो
किस धुन में पीते हो।
बस फोन की स्क्रीन में
तुम अठारह घण्टे
आंखे गढ़ाए बैठे हो
मुझे याद है।
वो बचपन
जो तुम छोड़ आए।
Bahut hi achchha, aaj k bachchhon k bachpan ka satyt hai ye.
जवाब देंहटाएंBahut hi achchha, aaj k bachchon k bachpan ka satya hai ye.
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