शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

kavita in hindi/Hindi kavita पल में बोया kavita in hindi/Hindi kavita

पल में बोया
पल में काटा
खुद का ही तूने
किया है घाटा
ईर्ष्या न त्यागी
दंभ न तोड़ा
छल और कपट का
साथ न छोड़ा
पल में बोया
पल में काटा
खुद का ही तूने
किया है घाटा
लोभ को तूने
तन लिपटाया
मन को तेरे
स्वारथ भाया
मानव बन 
धरती पर आया
मोहमाया 
संसार उगाया।
पल में बोया
पल में काटा
खुद का ही तूने
किया है घाटा
फसता गया
भँवर के अन्दर
लील रहा अब
भाव समंदर
जीवन ही सोचा
मृत्यु न सोची
अंत की तस्वीर न सोची
पल में बोया
पल में काटा
खुद का ही तूने
किया है घाटा

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