मन कहाँ जाना चाहता है
वो कौन सी जगह है
जहाँ सुकून है
चैन है,आनंद है
वो कौन सी जगह है
कभी वो जगह घर होता था
दुनिया भर में भटक कर
आंखिर में हमें घर ही याद आता है
मग़र आज वो जगह
घर भी नहीं है।
वो कौन सी जगह है
आज घरों में वैमनष्य है
दीवारे चीख़ रही हैं
ज़मीन रो रही है
आबो हवा कह रही है
मुझे दूषित कर दिया
तुम्हारे विचारों ने
तुम्हारे मतभेदों ने
तुम्हारे कलहों ने
फिर अब क्या,
खोजना चाहते हो
मुझ में तुम?
मैं वही तुम्हे दे सकती हूं
जो तुमने मुझमें घोल दिया।
मेरी रग रग को तुमने
नफ़रत से जहरीला कर दिया।
वो कौन सी जगह है
जहाँ सुकून है।
चैन है,आनंद है।
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