आसमां में घिरे
काले घने उफ़नते
बादलों को देखकर
मन मे एक आस सी जगी
एक प्यास सी जगी
हर बार की तरह
इस बार भी वो लुभाने आए
तरसाने आए
आसमां में घिरे
काले घने उफ़नते
बादलों को देखकर
रिमझिम बरसात की
ठंडी फुहार की
नम ज़मी की
गीली मिट्टी की
सौंधी सी याद सी महकी
आसमां में घिरे
काले घने उफ़नते
बादलों को देखकर
न जाने कौन सी बयार चली
किस दिशा को चली
बादलों के उफान को
बहा ले गई
आसमां में घिरे
काले घने उफ़नते
बादलों को देखकर
मन में एक आस सी जगी
एक प्यास सी जगी।
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