संघर्ष तो किया ही है
मां के उदर में सांस लेने को
गतिशील रहने को।
स्वतंत्र बाहें पसारने को
संघर्ष तो किया ही है
निरन्तर वृद्धि करने को
बलिष्ठ होने को
पूर्ण मानव बनने को
संघर्ष तो किया ही है।
अपनो से अपना
कहे जाने को
अपने विचार
दूसरों को समझाने को
संघर्ष तो किया ही है
अर्थ-अनर्थ न हो जाने को।
बातों की उलझनों को
बार बार सुलझाने को
संघर्ष तो किया ही है
लक्ष्य के लिए नही
किसी उपलब्धि,
के लिए भी नहीं
शब्दों से संघर्ष किया है
संघर्ष तो किया ही है
किसी बाहर वाले से नहीं
न ही किसी,
बाहरी परिस्थिति से
न ही बाहरी किसी द्वन्द से
संघर्ष तो किया ही है।
अंतर्द्वंद्व से,
अपने ही विचारों से
अपनो के मतभेदों से
बिगड़ चुकी बातों से।
संघर्ष तो किया ही है।
कुछ पा जाने को नहीं।
अपनी पहचान बनाने,
को भी नहीं।
संघर्ष तो किया ही है
बहुत संघर्ष किया है।
संघर्ष कुछ पाने का नहीं
अपनी पहचान बनाने का भी नहीं है।
संघर्ष बस ये ही हैं कि मेरे अपने
मुझे अपना समझ पाए।
बेवजह का बैमनस्य मिटा पाए।
संघर्ष तो किया ही है
जीवन को,
जीवन की तरह नहीं जिया।
विरोधी शब्दो को जहन में ही सी दिया।
शब्दों के हलाहल को पी लिया।
संघर्ष तो किया ही है
हर बार अपने वजूद को बचाने को।
बिखरे रिश्तों को समेट पाने को।
ग़लतफ़हमियों को मिटाने को।
संघर्ष तो किया ही है
मन मस्तिष्क के आंतरिक संघर्ष के चित्रण का अच्छा प्रयास हुआ है।
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