यकीन मानिए,
उन्हें फुरसत नहीं
रिश्ते निभाने की।
उलझे हैं वो ज़िंदगी की
जद्दोजहद में,कुछ इस तरह
कहां पड़ी है उन्हें,
प्यार, जताने की?
अगर दो पल,आपको चाहिए
उनके भाई,
ऑनलाइन आइए।
कम से कम,
इस तसल्ली के
लिए अरे अभी तो,
वो यहां मौजूद थे
उनसे ना सही,
उनकी मौजूदगी से ही,
मुलाकात हो जाएगी,
यार इतनी व्यस्त ज़िंदगी में
क्या ये वर्चुअल
मुलाकात कम है?
पता एक हो तो बताएं
अब तो घर के अलावा भी,
उनके कई ठिकाने हैं,
हाथ नहीं आते,
ये बात अलग है,
मौजूद थे यहां,
आप ये जान पाए,
क्या ये कम बात है?
आप तो इतने से,
बदलाव से ही घबरा गए.
नहीं सहन होता आपको
तो उनकी क्या खता है?
या तो उनके इस रंग में,
आप भी रंग जाइए।
ना हो सके ऐसा तो,
भैय्या,पतली गली से,
निकल जाइए।
आपको बदलाव पसंद नहीं,
ये आपकी व्यक्तिगत परेशानी है
किसी और को इसमें घसीट लेना
ये आपकी नादानी है।
किस-किस को आप,
रिश्तों का पाठ पढ़ाएंगे?
कहां-कहां मत्था फोड़ेंगे
कहां-कहां टेशुए बहाएंगे?
फिर भी कौन मान लेगा?
कौन समझ लेगा, आपके भावों को?
इसलिए व्यर्थ है,आपका इस तरह
दुख में डूबना।
अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है
अगर ये सहन नहीं होगा,
तो कैसे और बड़ा भारी भरकम,
बदलाव सह पाओगे?
ऐसे ही रहे तो भैया,
बताओ,फिर क्या पाओगे?
और तो कुछ नहीं,
बस अपनी ही जान गंवाओगे।
उन्हें फुरसत नहीं
रिश्ते निभाने की।
उलझे हैं वो ज़िंदगी की
जद्दोजहद में,कुछ इस तरह
कहां पड़ी है उन्हें,
प्यार, जताने की?
अगर दो पल,आपको चाहिए
उनके भाई,
ऑनलाइन आइए।
कम से कम,
इस तसल्ली के
लिए अरे अभी तो,
वो यहां मौजूद थे
उनसे ना सही,
उनकी मौजूदगी से ही,
मुलाकात हो जाएगी,
यार इतनी व्यस्त ज़िंदगी में
क्या ये वर्चुअल
मुलाकात कम है?
पता एक हो तो बताएं
अब तो घर के अलावा भी,
उनके कई ठिकाने हैं,
हाथ नहीं आते,
ये बात अलग है,
मौजूद थे यहां,
आप ये जान पाए,
क्या ये कम बात है?
आप तो इतने से,
बदलाव से ही घबरा गए.
नहीं सहन होता आपको
तो उनकी क्या खता है?
या तो उनके इस रंग में,
आप भी रंग जाइए।
ना हो सके ऐसा तो,
भैय्या,पतली गली से,
निकल जाइए।
आपको बदलाव पसंद नहीं,
ये आपकी व्यक्तिगत परेशानी है
किसी और को इसमें घसीट लेना
ये आपकी नादानी है।
किस-किस को आप,
रिश्तों का पाठ पढ़ाएंगे?
कहां-कहां मत्था फोड़ेंगे
कहां-कहां टेशुए बहाएंगे?
फिर भी कौन मान लेगा?
कौन समझ लेगा, आपके भावों को?
इसलिए व्यर्थ है,आपका इस तरह
दुख में डूबना।
अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है
अगर ये सहन नहीं होगा,
तो कैसे और बड़ा भारी भरकम,
बदलाव सह पाओगे?
ऐसे ही रहे तो भैया,
बताओ,फिर क्या पाओगे?
और तो कुछ नहीं,
बस अपनी ही जान गंवाओगे।
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