अपना स्वाद चाहिए
और कसाई को अपना फ़ायदा ।
जाली में कैद वो पशु पक्षी
जो पल पल छुरे को देख कर ,
अपनी मृत्यु की कल्पना से
जिस दर्द और दहशत से
गुजर रहे है ,
छुरे के नीचे गर्दन आने से पहले,
वो,
नज़ाने कितनी बार मर रहे है।
ये अंदाजा भला..
मांस भक्षी और कसाई
कैसे लगा सकता है?
भला उसको क्या फ़र्क पड़ता है
उस दर्द से..उस दहशत से..मनु...
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