सोमवार, 25 अगस्त 2025

बहुत कुछ बदल गया

बहुत कुछ बदल गया
इन चौदह सालों में
मगर जो नहीं बदला 
वो है मेरा दिल 
मेरे अहसास 
साल दर साल
अंकुरित हुई
पल्लवित हुई 
मेरी भावनाएं 
बड़ी मजबूत 
बड़ी सशक्त 
गहराई में
मेरे रोम रोम में
धंसी हुई ये जड़े 
जो मेरे पूरे जीवन तंत्र 
को बांध कर रखती हैं 


किशोरावस्था में पहुंच गया
नवी कक्षा का छात्र 
बोर्ड परीक्षा की तैयारी में जुटा है
बात बड़ी गहरी है समझ सको 
तो बताना
जीवन की इस पहली
और कठिन परीक्षा में
बैठने से वो डरता है।
इसलिए अभी से तैयारी
में जुटा है 
कहीं फ़ैल न हो जाए 
कहीं पीछे न रह जाए
कही कृपांक के सहारे
ही इस कक्षा को पार न कर जाए।
वो नहीं चाहता पीछे रहना
वो नहीं चाहता कृपांक 
उसकी सफलता उसकी 
मेहनत और लगन का
प्रतिफल हो
उसके दृढ़ संकल्प का
परिणाम हो

बलवस्था 
आकर्षण 
सम्मोहन 
खुशी 
नाराजगी 
रूठना 
मानना 
रोना
किशोर
परीक्षा 





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