इन चौदह सालों में
मगर जो नहीं बदला
वो है मेरा दिल
मेरे अहसास
साल दर साल
अंकुरित हुई
पल्लवित हुई
मेरी भावनाएं
बड़ी मजबूत
बड़ी सशक्त
गहराई में
मेरे रोम रोम में
धंसी हुई ये जड़े
जो मेरे पूरे जीवन तंत्र
को बांध कर रखती हैं
किशोरावस्था में पहुंच गया
नवी कक्षा का छात्र
बोर्ड परीक्षा की तैयारी में जुटा है
बात बड़ी गहरी है समझ सको
तो बताना
जीवन की इस पहली
और कठिन परीक्षा में
बैठने से वो डरता है।
इसलिए अभी से तैयारी
में जुटा है
कहीं फ़ैल न हो जाए
कहीं पीछे न रह जाए
कही कृपांक के सहारे
ही इस कक्षा को पार न कर जाए।
वो नहीं चाहता पीछे रहना
वो नहीं चाहता कृपांक
उसकी सफलता उसकी
मेहनत और लगन का
प्रतिफल हो
उसके दृढ़ संकल्प का
परिणाम हो
बलवस्था
आकर्षण
सम्मोहन
खुशी
नाराजगी
रूठना
मानना
रोना
किशोर
परीक्षा
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