शब्दों में क्या कहा
ये शब्द केवल
शब्द ही होते हैं
जब तक उन्हें कोई
हकीक़त का नाम न दे
तब तक ये शब्द
शब्द ही रहते हैं
शब्दों में लोग नजाने
क्या क्या कहते है
कभी कभी ये शब्द
बिना अर्थ के भी होते है।
शब्दों में जो सेतु बना
देते है हवाओं में
हकीक़त में वो
धरती पर रहते ही
नहीं है
उनके शब्दों में कोई
क्षमता होती तो
वो आसमा का नहीं
धरती का रुख करती
जिन शब्दों को हवा में
तैरते देखते हो
जिन्हें छू पाने में खुद को
अक्षम कहते हो।
फिर कैसे भरोसे कर लेते हो
उन शब्दों का
जो केवल मायाजाल है
हकीक़त से जिनका न वास्ता था
न वास्ता होता है
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