सब वक़्त वक़्त की बात है
कल हम अजीज थे,
दिल के बहुत करीब थे,
शायद तुम्हारा नसीब थे।
मगर आज?
आज हम अजीब हैं।
सब वक़्त वक़्त की बात है।
कल भावों के उफनते
सैलाब थे।
हाथों में गुलाब थे।
सुंदर मीठा सा ख़्वाब थे
मगर आज?
आज हम,बुरे बेहिसाब हैं।
सब वक़्त वक़्त की बात हैं।
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