विद्यालय में आज भी वहीं तानों भरा दिन,वही खिलखिलाहट वही तंज,श्री बस छुट्टी का इंतजार करती,दिन बिताना बड़ा ही मुश्किल होता था।
मगर ताने सिर्फ यहाँ ख़तम नहीं होने थे,उनकी भयावहता कितनी हद पार करने वाली है श्री को तनिक भी अंदाज़ा न था।
अगले दिन जब वो विद्यालय जाने लगी,एक लड़का ( वही जिसका नाम बिगाड़ कर श्री ने अपने अंतिम पत्र में जिक्र किया था) झुंड में उसको फॉलो करता हुआ उसको गालियाँ बकता हुआ उसके पीछे पीछे चला आ रहा था। विद्यालय का रास्ता लंबा था।
श्री उसकी धमकियों गालियों से सहम गए थी,किसी तरह तेज़ कदम किये,वो झुंड वहाँ से लौट गया ( क्योंकि उनके विद्यालय का भी यही समय था)
जैसे वो विद्यालय पहुंची वहाँ का भी माहौल आज कुछ अलग था, आज उनके तानों ने भी धमकी का स्वरूप ले लिया था,उस झुंड की हर लड़की वो नाम बोल रही थी जो श्री ने अपने अंतिम पत्र में अविनाश को लिखे थे।
श्री के तो पैरों तले जमीन खिसक गई,उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। स्थिति ये थी कि गश खा कर गिर जाए।
हे भगवान ये सब क्या है, इतना बड़ा धोखा आंखिर मैने उस लड़के( अविनाश ) का बिगाड़ा क्या? उसने मुझे किस बात की सज़ा दी। श्री बुदबुदाई,अब कुछ नहीं हो सकता।
वाकई ये सच था अब कुछ नहीं हो सकता था, पहले तो उन लड़कियों से श्री का कोई मतलब नहीं था तब भी बेवजह वो श्री को लंबे समय से तंग कर रही थीं।
मग़र आज तो वजह थी,श्री ने उनके नाम जो बिगाड़ दिए थे और सीधे उनसे पन्गा ले लिया था,तो क्या अब उसे छोड़ सकते थे?
बस उन लोगों ने वो बात पूरे विद्यालय में फैला दी,अब तो विद्यालय के छोटी छोटी छात्राएं भी श्री पर आते जाते हंसने लगी टौंट मारने लगी,बेचारी श्री जैसे हजारों जहरीले डंग वाली मधुमखियां उससे चिपट गई हो। अब वो कैसे अपनी जान बचाए।
श्री भाग -१५
अब श्री को सारी बात समझ आई कि वो लड़का क्यो उसे गालियां देते हुए उसके पीछे आया,क्योंकि उसे भी पता था, " कि उसका गलत नाम उस पत्र में लिखा था"।
श्री विद्यालय से लौटती हुए रास्ते भर उस लड़के की गालियां सुनती,और विद्यालय में उन लड़कियों का शोषण सहती,उसकी आँखों मे आँसू सूखते न थे,खाना उससे निगला न जाता था,जिंदगी बस खत्म सी हो गई थी।
किसे कहती किसे बताती कि उसने कैसे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है किसे बताती की वो क्या झेल रही है,किसी को बताने से डरती थी,मगर अंदर ही अंदर घुट रही थी टूट रही थी।
ताने तंज फब्तियां उसके जीवन का हिस्सा बन गए थे,इस हालत में आंखिर कोई पढाई कैसे कर सकता है।
रोज रोज वही बातें वही गालियां देता पीछा करता लड़का,श्री सह नही पाई,उसके आंसू रुकते ही नही थे,आज विद्यालय में वो झुण्ड जब उसपर ताने मार रहा था वो उनके पास चली गईं।
बोली" क्यों मेरे साथ ऐसा कर रहे हो,क्या बिगाड़ा मैने तुम्हारा"
उस झुंड में से बारी बारी से आवाज़ आई," बिगाड़ा तो बहत कुछ है" "हमें अपने लव लेटर में शामिल करके" "अब शामिल किया ही है तो झेलना तो पड़ेगा ही" "तुम कितना भी रो लो,इन आँसुओ से हम नहीं पिघलने वाले"
श्री - "क्या प्रमाण है तुम्हारे पास"?
हमारे पास उस लेटर की फ़ोटो कॉपी है( एक बोली ).
श्री (रो कर)-तो दिखाते क्यों नहीं?
अर्रे इतनी आसानी से कैसे दिखाएंगे दिखाएंगे, तुम्हें ही नहीं
पूरे विद्यालय को दिखाएंगे( सब एक स्वर में बोले)
श्री का दिल कांप गया।
श्री भाग-१६
प्यार मोहब्बत कसमें वादे सब उसे बकवास लगने लगे,उसे किसी लम्बी साजिश के तहत फंसा दिया गया (उसे ऐसा लगने लगा इतना छल इतना कपट, ऐसा धोखा जिसकी उसने कभी कल्पना तक नहीं की उसके साथ वो घटा)चंद सालों की ज़िंदगी से उसे मोह न रहा, इतनी भयानक दहशतभरी ज़िंदगी से उसे मौत कहीं ज़्यादा आसान लगने लगी थी,श्री अब विद्यालय नहीं जाना चाहती थी मगर उन लड़कियों के झुंड की वजह से( कि वो ये ना सोच लें डर कर घर बैठ गई,इसलिए अगले तीन दिन वो फिर विद्यालय गई)
रास्ते मे उसी लड़के की भद्दी गालियां और स्कूल में फिर वहीं तमाशा," आज हम लाए हैं लेटर की फ़ोटो कॉपी'कोई उस झुंड में बोला, फिर लैटर को पढ़ने का सा बहना करने लगे और श्री के शब्द( लैटर वाले ) दोहराने लगे,उन्हें देख कर लगता था वो सच मे लाए हैं, वो इस तरह सब घेरा बना कर कुछ देखते से लगे।
श्री बहत ज्यादा सहमी घबराई थी वो सब उसकी इस हालत को एन्जॉय कर रहे थे,चाह रहे थे वो रोए गिड़गिड़ाए।
क्या किसी ने भी ऐसे टीनएजर देखें हैं, जो बेवजह अपनी ही हमउम्र छात्रा को इस तरह टॉर्चर करें, इससे बड़ी अमानवीयता हो क्या सकती है कि किसी को तुम अपने तानों तंजो से मौत के मुँह में धकेल दो,उस को विद्यालय में तिल तिल मारा गया, रुलाया गया,कहीं उसे बैठने नहीं दिया गया।
आंखिर कितना झेल पाती वो,इस घटना की खबर न उसके मां बाप को थी ना ही रिश्तेदारों को,और श्री चाहती ही नहीं थी कि किसी को पता लगे,क्योकि वो नही झेल पाती जब उसको ही गलत ठहराया जाता,"क्योंकि उसने बहुत बड़ा गुनाह किया था,"वो था किसी लड़के से पत्र व्यवहार"।
आज श्री ने ठान लिया था कि आज वो आंखिरी बार स्कूल जाएगी उसके बाद वो कभी स्कूल नहीं जाएगी।
अंदर ही अंदर उसने एक भयानक निर्णय ले लिया था।
श्री भाग- १७
आज जब वो विद्यालय पहुँची, रोज़ की तरह ही,"हम लैटर लाए हैं हम लैटर लाए हैं" सुना।
वो उस झुंड के पास पहुंची और बोली," लाए हो तो दिखाओ, तुम लोग जान बुझ कर मुझे टॉर्चर कर रहे हो,मेरी तबीयत कई दिन से ख़राब हैं मगर तुम्हारी वजह से मैं स्कूल आ रही हूं ताकि देख सकूँ वो लैटर, मगर अब मैं कल नहीं आउंगी"
उनमे से एक बोली,"कल दिखा देंगे'
श्री ने जवाब दिया,"अब जो भी करो"
तमाशा जारी रहा,अपने समय से छुट्टी भी हो गई। श्री घर पहुंची, अब कोई विद्यालय नहीं, कोई पढ़ाई नहीं और कोई ज़िंदगी नहीं।
ऐसा निर्णय कोई कब लेता है? जब जीवन मे कोई रास्ता नज़र ना आए,जीने से डर लगने लगे,तो लोग मौत को गले लगा लेते हैं।
ये समाज ही है जिसमें कुछ ऐसे क्रूर लोग भी है,जो किसी को प्रताड़ित कर आंनद लेते है,किसी के आंसू बहा कर खुश होते हैं। आहा दया या उदारता कहाँ गई। क्या इन्होंने नैतिक शिक्षा नही पाई या पढ़ी लेकिन ग्रहण नहीं की।
मनुष्य रूप में अगर कोई मनुष्य पर ही अत्याचार करे निर्ममता दिखाए,तो क्या उन्हें मनुष्य कहा जाए?क्या शब्द उपयुक्त होगा उनके लिए?
नहीं गई श्री अगले दिन स्कूल, वो अपने गाँव वापस जाने की तैयारी कर रही थी,काफ़ी समय से ठीक से खा नहीं पाई थी तो काफ़ी कमज़ोरी महसूस कर रही थी।
उस दिन उसके विद्यालय में किसी वजह से हाफ डे में छुट्टी हो गई थी।
श्री से सहानुभूति रखने वाली एक लड़की जो उसी की कक्षा में पढ़ती थी, वो श्री से मिलने आई और उसे बताया," कि आज वो लड़कियां वो लैटर लेकर आई थी। उन्होंने उसकी कई सारी फ़ोटो कॉपी बनाई थी,और स्कूल की हर क्लास में बाँट दी,वो लिखावट तो तेरी ही लग रही थी'
श्री ने जब ये सुना उसके रौंगटे खड़े हो गए,वो दहशत से भर गई। वो सारा दृश्य उसकी आँखों के चारों ओर घूम गया,जुबान सिल गई,आंखे डबडबा गई।
उफ़्फ़ अब और क्या शेष रहा, अब तो विद्यालय का हर बच्चा मुझे घृणा की दृष्टि से देखेगा।
उसने जो निर्णय लिया था अब वो और पका हो गया,श्री शाम को अपने गांव वापस चली रस्ते भर सोचती आई,अब यहाँ वापस नहीं आना है।
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