हमने भी ख़्वाब देखें हैं,
सपने बेहिसाब देखे हैं।
चेहरों पर नक़ाब देखे है,
किस पर यकीं करें दोस्तो
जब अपने ही ख़राब देखे है।
बदलते मंजरों का डर है,
ना जाने रास्ता किधर है?
डोलती कश्तियों का सफ़र है,
सांसे तो चलती ही हैं दोस्तो,
मगर ज़िन्दगी की कहां खबर है।
कितनी परतों को हटाएं,
किस रूप को किस से छुड़ाएं?
बताओ तो हमें हम कहां जाएं?
उंगली थाम चल रहे हैं जो,
वजूद को उनसे कैसे बचाएं?
बातें लाज़वाब करते हैं,
शब्दों में मक्खन का स्वाद रखते हैं
खता क्या है,हमारी जो फिसल पड़े
क्योंकि सामने से कभी नहीं दोस्तो
लोग पीठ पर वार करते हैं।
छू सकूँ किसी के दिल को अपनी कविता कहानी से तो क्या बात है। अहसास कर सकूं हर किसी के दर्द को अपनी कविता कहानी से तो क्या बात है। जीते जी किसी के काम आ सकूँ तो क्या बात है। kavita in hindi, hindi kavita on life, hindi poems, kavita hindi mein on maa
सोमवार, 5 अगस्त 2019
नकाब👽
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