गुरुवार, 4 जुलाई 2019

क्यों?

तुझसे बात नहीं होती अब,
तेरे लिए,ये कोई बड़ी बात नहीं
जो हैै नहीं, उसे दिखाना क्यों है?
जो दिल से नहीं है, उसे निभाना क्यों है?
बड़ी मजबूरी में खुद को डालकर,
किसी को फिर गले लगाना क्यों है?
कभी खुल के तो बता,तुझे चाहिए क्या है?
ये बात बात पर,पहेली बुझाना क्यों है?
किसी के आंसुओं पर तरस खा कर
उसे वापस बुलाना क्यों है?
रोने वालो की फितरत अगर रोना है,
तो तुझे खुद के वजूद को भुलाना क्यों है?
जब दिल से कोई भाव,महसूस होता ही ना हो,
तो मन मार कर भी,उसे जताना क्यों है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

स्त्री एक शक्ति

स्त्री हूं👧

स्री हूं, पाबंदियों की बली चढ़ी हूं, मर्यादा में बंधी हूं, इसलिए चुप हूं, लाखों राज दिल में दबाए, और छुपाएं बैठी हूं, म...

नई सोच