तुमने ज़िंदगी सफ़र बना दी
बोरिया बिस्तर समेटते,समेटते
आधी तो यूँ ही बिता दी।
तुमने ज़िंदगी सफ़र बना दी
मुस्कुराते हो,
इन्कार कहाँ है।
मग़र हंसी तो,
अधरों के नीचे कहीं
छुपा दी।
तुमने ज़िंदगी सफ़र बना दी।
दूसरों के लिए जीना,
एक
अलग बात है
तुमने खुद के जीने में
हड़बड़ी दिखा दी।
तूमने ज़िंदगी सफ़र बना दी।
ज्ञात नहीं तुम्हें
तुमने क्या क़ीमती खोया।
हाथ तुम्हारे अब
क्या
रह गया।
तुमने ज़िंदगी सफ़र बना दी।
बोरिया बिस्तर समेटते,समेटते
आधी तो यूँ ही बिता दी।
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