दर्द को मर्ज को
परिस्थिति को फ़र्ज़ को
जीवन मे चढ़े क़र्ज़ को
उन्हें भुनाना आ गया।
जो मर गया वो तो चला गया
मगर उन्हें क्या कहें जिन्हें
कफ़न से भी कमाना आ गया।
उन्हें भुनाना आ गया।
कहाँ भाव कहाँ भावुकता
कहाँ शब्द कहाँ व्याकुलता।
नैनो में सच्ची अश्रुधार कहाँ
हृदय से छलकता अब प्यार कहाँ?
उन्हें भुनाना आ गया।
अच्छे को बुरे को
उजड़े को संवरे को
खाली को भरे को
उन्हें भुनाना आ गया।
दुःख को गम को
हंसी को खुशी को
तुमको हमको
उन्हें भुनाना आ गया।
कफ़न से भी कमाना
आ गया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें