एक गांव में एक गरीब विधवा औरत रहती थी उसको पेंशन मिलती थी उसके तीन बेटे थे महिला ने बड़ी मेहनत से तीनों बेटों को पढ़ाया दो बेटे घर से बाहर निकले और नौकरी करने लगे लेकिन एक बेटे को उसने अपने साथ रख लिया क्योंकि वह अकेली थी सबसे छोटा बेटा था इसलिए उससे प्यार भी करती थी घर पर बेटा और मां रहते थे लेकिन बेटा धीरे-धीरे गांव के माहौल में गलत संगत में पड़ा और उसे शराब पीने की लत लगी और वह लत ऐसी लगी कि वह दिन पर दिन बढ़ती रही और उसका बुरा हाल हो गया वह शराब को पानी की तरह पीने लग गया मां ने उसे कितना समझाया लोगों ने उसे कितना समझाया लेकिन उसे इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ा,मां ने सोचा कि अगर शादी करवा दी जाएगी तो शायद ही थोड़ा ठीक हो जाएगा शादी भी करवा दी गई दो-चार दिन सब ठीक भी रहा उसके बाद शराबी फिर से अपने इस ट्रैक में वापस लौट आया फिर उसी तरह की हरकतें करने लगा फिर उसी तरह से शराब पी के नालों में सड़कों में कहीं पर भी लुढ़का मिलता, लोग बस उसे देखकर तमाशा ही बनाते हंसी मजाक ही करते ,लेकिन उसकी पत्नी बहुत दुखी थी इस तरह से ही उनका जीवन बिता और उनके तीन बेटे भी हुए और उसके बाद भी शराबी में कोई बदलाव नहीं हुआ कुछ समय के लिए उसको अपनी जिम्मेदारी का अहसास हुआ और होश भी आया,उसकी मां की आर्थिक मदद से उसने एक सब्जी की बढ़िया सी दुकान खोली बहुत अच्छी फ्रेश सब्जियां बेचता था, ग्राहकों का तांता लगने लगा,लोगों को सब्जियां पसंद भी आती थी बहुत सारे लोग लेने भी आते थे लेकिन सब व्यर्थ,कुछ टाइम बाद उसने शराब के नशे के चलते सब्जी की दुकान भी बंद कर दी फिर वह उसी ट्रैक में वापस आया सुबह से शाम तक शराब पीना कभी इधर लुढ़कना कभी उधर लुढ़कना कभी किसी को गाली देना गाली भी वह बहुत ही निम्न स्तर की गालियां देता था, गांव की महिलाएं स्त्रियां बच्चिया लड़कियां सब उसके बगल से गुजरते हुए अपने कान बंद करके चलती थी,क्योंकि शराबी था लोग इसलिए उसका कोई जवाब नहीं देते थे और धीरे-धीरे यही सिलसिला चलता रहा बच्चे उसके बड़े हो रहे थे, घर में गरीबी और बड़ी तंगी का माहौल था सास की पेंशन से उनका घर का खर्च चल रहा था, लेकिन सास भी कब तक करती, उम्र काफ़ी हो गई थी,एक दिन वो भी संसार को विदा कह गई, जीविका का एक साधन जो था मां के साथ वह भी खत्म हो गया,जैसे-तैसे शराबी की पत्नी(बच्चों की मां ) बच्चों को पढ़ा रही थी मेहनत मजदूरी करके और बच्चे पढ़ भी रहे थे लेकिन दुर्भाग्य तीन लड़कों में से एक लड़का भी पिता के ही नक्शे कदम पर चल रहा था उसका न पढ़ने में कोई मन था न वो पढ़ाई में पास होता था और दूसरे दो बेटे क्योंकि वह जानते थे उनके पिता का क्या हाल है तो वह अपनी पढ़ाई बड़ी मेहनत से कर रहे थे क्योंकि उन्हें जीवन इस तरह से नहीं जीना था एक दिन की बात है जब उनका पिता घर नहीं पहुंचा बहुत देर हो गई तो सभी को कोई अनहोनी के आशंका हुई और सच में अनहोनी ही हुई थी उसी दिन सुबह लगभग चार से पांच बजे के टाइम पर वह शराबी, अत्यधिक शराब पी लेने के कारण बेहोशी की अवस्था में, सड़क के एक बहुत ही तीव्र मोड़ पर गिर पड़ा,और वही गहरी बेहोशी में चला गया,जहां से गाड़ियां गुजरती है, सड़क वहां ढलान पर थी, गाड़ी की गति नियंत्रित नहीं हो पाती थी और इस तरह से किसी अज्ञात भारी वाहन ने उसे बुरी तरह से कुचल दिया, उसका शरीर पूरी तरह से छिन्न भिन्न हो गया,बहुत ही बुरी अवस्था में वो मृत्यु को प्राप्त हुआ, जिसने भी यह भयानक दृश्य देखा उसके रोंगटे खड़े हो गए ऐसी भयानक मौत ईश्वर करे कभी किसी को ना मिले, इसमें दोश उस अज्ञात वाहन का तो बिल्कुल भी नहीं था इसलिए उसे ढूंढने का भी प्रयत्न किसी ने नहीं किया, यह दुर्घटना ने उसके परिवार पर वज्रपात किया, बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया,मगर एक हकीक़त ये भी थी कि उस पिता का होना न होना बराबर ही था, उसका दाह संस्कार हुआ उसके बच्चे उसकी पत्नी इस बात को जीवन पर्यंत भूल तो नहीं सकते लेकिन कर भी क्या सकते थे उसके बाद आगे क्या हुआ बच्चे बड़े हो गए वह पढ़ लिख भी गए, लेकिन, कहानी यहां खत्म नहीं हुई है, शराबी का मझला बेटा भी अब पिता के नक्शे कदम पर था, उसका पढ़ने में मन न था, ना उसने पढ़ाई ढंग से की,कई साल एक ही कक्षा में फेल होता रहा उसके बाद पढ़ाई खुद ही छूट गई,उसने मजदूरी करनी शुरू की,मजदूर दोस्त थे मजदूरी करते-करते शराब पीते थे शराब की लत उसको ऐसी लगी कि उसने अपने पिता को भी फेल कर दिया,आए दिन वो भी कहीं ना कहीं लुढ़का रहता था, बस उसकी एक बात अपने पिता से अलग यह थी कि शराब के नशे में किसी को गालियां नहीं देता था, उसकी मां ने भी उसको बहुत समझाया , मगर कोई फ़ायदा नहीं और सबसे हैरानी की बात यह थी कि तीनों भाइयों में वह लड़का सबसे सुंदर सबसे अच्छी पर्सनालिटी का था,अगर वह अपने आप पर विश्वास करता अपने आत्मविश्वास को जगाता तो वह जीवन में बहुत कुछ कर सकता था क्योंकि उसके व्यक्तित्व में वह बात थी लेकिन उसे किसी चीज से कोई मतलब नहीं था, ना अपनी साफ सफाई से मतलब और ना अपने कपड़ों से मतलब बस उसे शराब चाहिए, शराब का नशा चाहिए और इसी तरह से उसकी जीवन बीत रहा है , एक दिन कई सालों के बाद मेरा अपने गांव जाना हुआ, जब मैं पहले कभी गांव में थी तब मेरी उम्र भी काफी कम थी और वह भी एक छोटा बच्चा ही था लेकिन इस बार जब मैं गांव में गई मैं अपने छोटे बच्चे को लेकर रोड से जा रही थी, अचानक एक जवान ऊंचे कद का गोरा चिट्टा सुंदर लड़का मेरे सामने आया, उसने चुपके मेरे पैर छुए और मुझसे पूछा "दीदी मुझे पहचाना" मैंने अपनी याददाश्त पर थोड़ा जोर दिया और मुझे उसका बचपन का चेहरा याद आ गया, मैंने कहा "हां पहचा नना क्यों नहीं" मैं उसे देखकर हैरान रह गई वह देखने में इतना आकर्षक लड़का लेकिन उसके पैर बुरी तरह से लड़खड़ा रहे थे मैंने देखा कि वह खड़े होने में भी असमर्थ था लेकिन शराब पीने के बावजूद भी उसने मेरे साथ एक सभ्य व्यवहार ही किया, वह मेरे बच्चे को चॉकलेट दिलाने की जिद करने लगा, मैंने उसे मना किया क्योंकि वह खुद ही ऐसी अवस्था में था कि कभी भी गिर सकता था,और एक सच ये भी है,कि बचपन से लेकर आज तक भी मुझे शराबियों से ऐसा ख़ौफ़ है जैसे मैंने भूत देख लिया हो,मैं वहां से तेज कदमों से निकल तो पड़ी लेकिन मेरे दिमाग में वह छा गया मुझे अंदर से एक भयानक अफसोस हुआ, इतना अच्छा लड़का यह क्या नहीं कर सकता था लेकिन इसने अपने व्यक्तित्व अपनी बुद्धि और अपने आप पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं किया यह एक बहुत ही गलत दिशा की ओर गया और पूरे गांव में इसे समझने वाला कोई नहीं है और शायद कोई हो भी तो वह किसी की बात समझने वाला नहीं है पर जो भी है उसको देखकर मैं अब भी नहीं चाहती कि वह इस हाल में रहे मैं चाहती हूं कि वह इस चीज से बाहर निकले उस समय रोड पर भीड़ बहुत थी क्योंकि वह शराब के नशे में था मैंने उसको वहां पर कोई शिक्षा देना उचित नहीं समझा क्या पता शराब के नशे में कोई क्या बोल दे ये हमारे लिए बिल्कुल ही अलग एक्सपेक्टेड होता है, घटना को बीते हुए लगभग 1 साल हो गया है लेकिन ये घटना मेरे दिमाग में आज भी घूम रही है, इसलिए मैं इस पर लिख रही हूं,और मैं चाह रही हूं कि उसे इस अंधकार से बहुत निकलना चाहिए,वो एक अच्छे जीवन का हक़दार है, अपने बड़ों से अपने माता-पिता से भी हमें वही चीज ग्रहण करनी चाहिए जो हमारे जीवन के लिए सच में हितकारी है जो हमारे जीवन को एक अच्छी दिशा देते हैं जो हमारे जीवन को संसार में एक नाम देते हैं मनुष्य के जीवन में आकर हमारा देश समाज और अपने परिवार के लिए कुछ कर्तव्य बनता है हमें उसे कभी नहीं भूलना चाहिए,
अगले दिन उसकी माता से मेरी मुलाकात हुई जो कि बेचारी अब भी बहुत ज्यादा मेहनत मजदूरी कर रही है जो खेत से आ रही है वह मुझसे बड़े प्रेम से मिली क्योंकि कई सालों बाद मिलना हुआ, मैंने उनके बेटे की यह बात उनसे कही किसी तरह से उसको सही दिशा में लाने का प्रयास करें जीवन लंबा है और इस तरह से जीवन जीना बहुत ही दुखद है उसकी मां ने भी शोक जताया दुख जताया कहा कि " हम समझा समझा कर हार चुके हैं लेकिन किसी की बात नहीं समझता" क्योंकि मैं गांव में लंबे समय नहीं रह सकती थी, हमारा सिर्फ दो-चार दिनों का वहां पर प्रवास था,उसके बाद हमें अपने गंतव्य की ओर चले जाना था और हम वहां से लौट तो आए, लेकिन वह बात मेरे हृदय से नहीं मिट्टी, मैं भगवान से हमेशा यही प्रार्थना करती हूं की भगवान ना करें उसके जीवन का हश्र भी उसके पिता की तरह हो...
ये हर युवा और हर व्यक्ति जो नशे की गिरफ्त में है उसके लिए मेरा संदेश है,जीवन अमूल्य है, उसको होश में जियो कुछ इस तरह मत जाओ संसार में कि तुम्हारी चर्चा भी किसी की जुबान पे आए तो "वो घृणा की दृष्टि से ही आए"