वो ना तुम थे ना हम थे।
बस कुछ अंदाजे गम थे।
वो तेरी नमी,वो मेरी नमी ,
मिलकर इक सैलाब बने।
दो विचारों के मिलन से,
कुछ हसीन,ख्वाब बने।
वो ना तुम थे,ना हम थे,
बस कुछ अंदाजे गम थे।
वो चांद तब खूबसूरत था,
सुकून भरा सवेरा था,
चांद आज भी वही है,
सवेरा आज भी होता है।
बस चांद की खूबसूरती,
अब नहीं दिखती।
सवेरे में सुकून नहीं रहा।
क्योकि बदला कुछ नहीं
प्रकृति में।
बदली है तो सिर्फ तुम्हारी प्रकृति
वो तुम थे ना हम थे
बस कुछ अंदाजे गम थे।
कुछ पल कुछ क्षण,
महका सा हर कण,
वो चाहत थी,
कुछ शरारत थी,
वो तुम थे,ना हम थे।
बस कुछ अंदाजे गम थे।
कुछ दिलचस्प बातों में,
रंगे हुए से पल थे।
एक थाली की छोटी सी कौर के,
दो हिस्से हम थे
वो तुम थे ना हम थे।
बस कुछ अंदाजे गम थे।
वो संगमरमर की गिट्टियों को
लगाते अगर तुम थे,
तो गिराने वाले हम थे,
उन गिट्टियों से,
सपनो के महल,
सजाने वाले भी तुम थे,
मगर ये सच है,
वो तुम थे,ना हम थे
बस कुछ अंदाजे गम थे।
छू सकूँ किसी के दिल को अपनी कविता कहानी से तो क्या बात है। अहसास कर सकूं हर किसी के दर्द को अपनी कविता कहानी से तो क्या बात है। जीते जी किसी के काम आ सकूँ तो क्या बात है। kavita in hindi, hindi kavita on life, hindi poems, kavita hindi mein on maa
बुधवार, 13 नवंबर 2019
वो ना तुम थे,ना हम थे
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