कुछ ही समझी हूं ,
अभी,
कुछ समझना बाकी है,
ज़िन्दगी ।
बिना कोई सवाल किए ,
तेरे जवाब,
सुनना बाकी हैं।
ज़िन्दगी।
कुछ ऐसे जवाब
शायद,जिन्हें सुनने को,
मैं तैयार नहीं।
कुछ ऐसे जवाब,
शायद
जिनकी मुझे,
तुझसे उम्मीद नहीं,
ज़िन्दगी।
कभी कभी,
मेरे दिल का ख्याल रखे बिना,
तू बहुत कुछ बोल जाती है।
मगर मेरी है,
अभी तुझे जीना बाकी है।
ज़िन्दगी।
क्यों ऐसे निरुत्तर,
मुझे कर देती है
प्रश्न भी तू ही उठाती है,
जवाब भी तू ही देती है,
ज़िन्दगी।
कभी - कभी,
बहुत बेबस कर देती है,
ज़िन्दगी।
छू सकूँ किसी के दिल को अपनी कविता कहानी से तो क्या बात है। अहसास कर सकूं हर किसी के दर्द को अपनी कविता कहानी से तो क्या बात है। जीते जी किसी के काम आ सकूँ तो क्या बात है। kavita in hindi, hindi kavita on life, hindi poems, kavita hindi mein on maa
छू सकूँ किसी के दिल को अपनी कविता कहानी से तो क्या बात है। अहसास कर सकूं हर किसी के दर्द को अपनी कविता कहानी से तो क्या बात है। जीते जी किसी के काम आ सकूँ तो क्या बात है। kavita in hindi, hindi kavita on life, hindi poems, kavita hindi mein on maa
▼
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें