शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

ज़िंदगी

कुछ ही समझी हूं ,
अभी,
कुछ समझना बाकी है,
ज़िन्दगी ।
बिना कोई सवाल किए ,
तेरे जवाब,
सुनना बाकी हैं।
ज़िन्दगी।
कुछ ऐसे जवाब
शायद,जिन्हें सुनने को,
मैं तैयार नहीं।
कुछ ऐसे जवाब,
शायद
जिनकी मुझे,
तुझसे उम्मीद नहीं,
ज़िन्दगी।
कभी कभी,
मेरे दिल का ख्याल रखे बिना,
तू बहुत कुछ बोल जाती है।
मगर मेरी है,
अभी तुझे जीना बाकी है।
ज़िन्दगी।
क्यों ऐसे निरुत्तर,
मुझे कर देती है
प्रश्न भी तू ही उठाती है,
जवाब भी तू ही देती है,
ज़िन्दगी।
कभी - कभी,
बहुत बेबस कर देती है,
ज़िन्दगी।

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