रच गए हैं बस गए हैं
ये मोबाइल फोन
हमारी ज़िंदगी में।
घर के हर कोने में।
तन्हा मुस्कुराते चेहरों पे।
अकेले गुनगुनाते बोलों पे।
रच गए हैं बस गए हैं
ये मोबाइल फोन
अब साथ की भी
ज़रूरत नहीं।
अब किसी से बात की भी
ज़रूरत नहीं।
हमारे अपनों के।
हमसे ज्यादा करीबी,
हमसे ज्यादा अपने हो गए हैं।
ये मोबाइल फोन।
रच गए हैं बस गए हैं।
ये मोबाइल फ़ोन।
बेहतरीन समय के
तलबगार बन गए।
खूबसूरत लम्हों के
हक़दार बन गए
हर हाथ का श्रृंगार
बन गए।
ये मोबाइल फोन
रच गए हैं बस गए हैं
ये मोबाइल फोन
हर घटना के चश्मदीद ये
हर ख्वाइश के मुरीद ये
उठते-जागते आते- जाते
सोते भी हैं तो,
सिरहाने में ही
विश्राम करते हैं
ये मोबाइल फोन।
रच गए हैं बस गए हैं
ये मोबाइल फोन
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